कांग्रेस ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) संसदीय दल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संबोधन के बाद उन पर कटाक्ष करते हुए कहा कि इसमें मोदी ने इतनी बार राजग का नाम लिया जितनी पिछले 10 वर्ष में नहीं लिया था।
उन्होंने यह भी कहा कि अगले कार्यकाल में उनकी सरकार अगले 10 साल में सुशासन, विकास, जीवन की गुणवत्ता और आम नागरिकों के जीवन में न्यूनतम हस्तक्षेप पर ध्यान केंद्रित करेगी। कांग्रेस नेता रमेश ने एक बयान में कहा, ‘‘एक तिहाई प्रधानंत्री की दोहरेपन की कोई सीमा नहीं है। मूर्छित राजग में जान फूंकने की कोशिश कर रहे हैं, संविधान के सामने माथा टेक रहे हैं। उन्होंने संविधान पर 10 साल में आक्रमण किया, संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर किया। 400 पार का नारा दिया गया ताकि संविधान को बदला जा सके।’’
उन्होंने दावा किया कि अब मोदी संविधान को माथे से लगाने का नाटक कर रहे हैं। रमेश ने कहा, ‘‘नरेन्द्र मोदी की व्यक्तिगत, रजनीतिक और नैतिक हार हुई है। वह कुर्सी छोड़ना नहीं छोड़ना चाहते। वह ‘डेमोक्रेसी(लोकतंत्र)’ नहीं, ‘डेमो-कुर्सी (कुर्सी के दिखावे)’ में विश्वास रखते हैं।’’
इससे पहले , रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘भाजपा की संसदीय दल की बैठक नहीं हुई पर राजग ने एक तिहाई प्रधानमंत्री पहले ही नियुक्त कर दिया। यह इसलिए किया गया क्योंकि नरेन्द्र मोदी को विश्वास नहीं था कि भाजपा के चुने हुए सांसद उनको अपना नेता चुनेंगे या नहीं।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘ख़ुद बहुत कम वोटों से जीते सांसद नरेन्द्र मोदी की व्यक्तिगत अनिश्चितता और बौखलाहट का यह सीधा प्रमाण है। उन्होंने भाजपा के सांसदों की ‘बाईपास सर्जरी’ कर दी है।’’
कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि नरेन्द्र मोदी ने जिनता 10 साल में राजग का नाम नहीं लिया, उससे ज्यादा बार डेढ़ घंटे के भाषण में ले लिया। उन्होंने कहा, ‘‘उनका इतना अटपटा भाषण था कि वह झेंप नहीं मिटा पा रहे थे...अब तो एनडीए ‘नीतीश/नायडू डिपेंडेंट अलायंस’ है।’’
खेड़ा ने दावा किया, ‘‘पहले कहा गया कि अकेला सबसे भारी। पहले मोदी की गारंटी की बात की गई। अब एनडीए की गारंटी की बात हो रही है। लेकिन दोनों लोगों (नीतीश और चंद्रबाबू नायडू) को पता है कि इस व्यक्ति की गारंटी पर कोई भरोसा नहीं करता, वो लोग भी नहीं करते।’’