बिहार के 'पहाड़ पुरुष' के नाम से प्रसिद्ध दशरथ मांझी के बेटे भागीरथ मांझी ने आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी से टिकट मांगने की घोषणा की है। दशरथ मांझी ने गया जिले के गहलौर गांव में 22 साल तक लगातार मेहनत करके पहाड़ काटकर रास्ता बनाया था, ताकि उनके गांव को अस्पताल और अन्य सुविधाओं से जोड़ा जा सके। अब उनके बेटे भागीरथ मांझी अपने पिता की इसी संघर्षशील विरासत को राजनीति के माध्यम से आगे बढ़ाना चाहते हैं।
भागीरथ मांझी ने कहा है कि वह लंबे समय से सामाजिक कार्यों में लगे हुए हैं और अपने पिता की सोच और संघर्ष को ज़मीन पर उतारने की कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दशरथ मांझी के सम्मान में कई घोषणाएं की थीं, लेकिन उनमें से अधिकतर आज तक ज़मीन पर नहीं उतरीं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जनता दल (यूनाइटेड) ने सिर्फ नाम के लिए दशरथ मांझी को सम्मान दिया, लेकिन उनके परिवार और गांव के हालात में कोई बड़ा बदलाव नहीं लाया।
इसी असंतोष के कारण भागीरथ मांझी ने जेडीयू छोड़कर कांग्रेस पार्टी का दामन थामा है। उन्होंने उम्मीद जताई कि कांग्रेस उन्हें टिकट देगी ताकि वह अपने क्षेत्र के गरीबों, दलितों और पिछड़े वर्ग के लोगों की आवाज़ विधानसभा तक पहुंचा सकें। भागीरथ का मानना है कि विकास की असली लड़ाई सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और सम्मान के मोर्चे पर लड़ी जानी चाहिए — वही चीज़ें जिनके लिए उनके पिता ने जीवनभर संघर्ष किया।
दशरथ मांझी की गिनती भारत के सबसे प्रेरक लोगों में होती है। उनकी कहानी पर फिल्म बन चुकी है और उन्हें मरणोपरांत भारत सरकार ने भी सम्मानित किया था। अब जब उनके बेटे राजनीति के मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं, तो यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या जनता और कांग्रेस पार्टी उन्हें वह मंच देती है, जहां से वह अपने पिता की अधूरी लड़ाई को पूरा कर सकें।