राजनीतिक विश्लेषकों ने रविवार को कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में विधानसभा चुनाव में ‘दिल्ली मॉडल’ खारिज होने के बाद अब आम आदमी पार्टी (आप) को अपनी सत्ता वाले एकमात्र राज्य में प्रदर्शन सुधारने के लिए ‘पंजाब-केंद्रित विकास मॉडल’ पर काम करना होगा।
दिल्ली चुनाव में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी की करारी हार के बाद विपक्षी दलों के पंजाब में आप को चुनौती देने के लिए अधिक आक्रामक और मुखर होने की संभावना है। पंजाब में 2027 में विधानसभा चुनाव होना है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधानसभा चुनाव में 70 में से 48 सीट जीतने के साथ 27 साल बाद दिल्ली में अपनी सरकार बनाएगी। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि दिल्ली में आप की हार के बाद अब उसे पंजाब में पार्टी को मजबूत बनाए रखने और राज्य में अपने प्रदर्शन को बेहतर बनाने की चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
आम आदमी पार्टी 2022 में पंजाब में कुल 117 विधानसभा सीट में से 92 सीट जीतकर सत्ता में आई थी। यह पार्टी ‘‘विकास के दिल्ली मॉडल’’ को प्रदर्शित करते हुए सत्ता में आई थी, जिसमें मुफ्त बिजली, महिलाओं के लिए 1,000 रुपये प्रति माह, बेहतर स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं और शिक्षा क्षेत्र में सुधार जैसे वादे किए गए थे।
पंजाब विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के शहीद भगत सिंह चेयर प्रोफेसर रोनकी राम ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी के लोगों ने आप के ‘‘दिल्ली मॉडल’’ को खारिज कर दिया, क्योंकि उन्हें यह टिकाऊ नहीं लगा।
उन्होंने कहा कि पंजाब में भी पार्टी इसी मॉडल पर काम कर रही है। रोनकी राम ने कहा, ‘‘अगर दिल्ली के लोगों ने उस मॉडल का समर्थन नहीं किया तो पंजाब के लोग उसका समर्थन क्यों करेंगे।’’
‘इंस्टिट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड कम्युनिकेशन’ के अध्यक्ष प्रमोद कुमार ने कहा, ‘‘उन्होंने (आप) पंजाब में विकास का दिल्ली मॉडल लागू करने का वादा किया था। उस मॉडल का जो हश्र दिल्ली में हुआ, वही हश्र पंजाब में भी होगा।’’
कुमार ने कहा, ‘‘उन्हें पंजाब-केंद्रित मॉडल की योजना बनानी होगी। सबक यह है कि दिल्ली मॉडल पंजाब में काम नहीं करेगा।’’
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे न केवल आप के लिए एक चुनौती हैं, बल्कि 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले पंजाब में विपक्षी दलों के लिए एक अवसर के रूप में भी सामने आए हैं।
कुमार ने कहा, ‘‘अब पंजाब चुनावी मोड में आ जाएगा और आप अपना पूरा ध्यान पंजाब पर केंद्रित कर देगी। आप के लिए चुनौती यह है कि पार्टी को कैसे एकजुट रखा जाए। पार्टी को अपने विधायकों को एकजुट रखना होगा ताकि कोई भी पार्टी उन्हें अपने पाले में न कर सके।’’
उन्होंने कहा, ‘‘दूसरी चुनौती यह है कि बेहतर प्रदर्शन कैसे किया जाए। राज्य में पार्टी के प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए रोजमर्रा के कार्यों में पार्टी नेता अरविंद केजरीवाल का सीधा हस्तक्षेप होगा।’’
कुमार ने कहा कि जहां तक विपक्षी दलों का सवाल है, यह देखना होगा कि शिरोमणि अकाली दल और भारतीय जनता पार्टी किस तरह का गठबंधन बनाते हैं, अन्यथा दोनों के लिए अकेले लड़ने पर कोई मौका नहीं है। उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस पर निर्भर करता है कि वह पंजाब में कैसे पार्टी को पटरी पर लाती है और विकल्प पेश करती है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले, मुख्यमंत्री भगवंत मान, कैबिनेट मंत्रियों, सांसदों और विधायकों सहित आप की पूरी पंजाब इकाई ने दिल्ली में पार्टी उम्मीदवारों के पक्ष में चुनाव प्रचार में आक्रामक रूप से भाग लिया।
उन्होंने पंजाब में किए गए कार्यों का उल्लेख किया, जिसमें 50,000 सरकारी नौकरियां देना, 300 यूनिट मुफ्त बिजली देना, 850 मोहल्ला क्लिनिक खोलना और एक निजी ताप विद्युत संयंत्र खरीदना शामिल है।
पार्टी के स्टार प्रचारक रहे मान ने दिल्ली में रोड शो किए और अपनी सरकार के कार्यों का हवाला देकर आप उम्मीदवारों के लिए वोट मांगे। विपक्षी दल पंजाब में आप सरकार को कई मुद्दों पर निशाना बना रहे हैं, जिनमें कथित तौर पर बिगड़ती कानून-व्यवस्था, बढ़ता कर्ज और नशीली दवाओं का खतरा शामिल है।
आप की हार के बाद पंजाब में विपक्षी दलों ने सत्तारूढ़ पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि दिल्ली के लोगों ने विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी के ‘‘झूठ और धोखे को बेनकाब कर दिया।’’ उन्होंने मान के नेतृत्व वाली सरकार पर ‘‘कुशासन’’ और ‘‘झूठे वादों के साथ मतदाताओं को धोखा देने’’ का आरोप लगाया।
आप को 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद से यह दूसरा झटका लगा है। पार्टी पंजाब की कुल 13 संसदीय सीट में से केवल तीन लोकसभा सीट ही जीत सकी।