Advertisement

द्रमुक ने उप-राष्ट्रपति धनखड़ की आलोचना की, न्यायपालिका के खिलाफ टिप्पणी को बताया 'अनैतिक'

तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने राष्ट्रपति के लिए राज्य विधेयकों को मंजूरी...
द्रमुक ने उप-राष्ट्रपति धनखड़ की आलोचना की, न्यायपालिका के खिलाफ टिप्पणी को बताया 'अनैतिक'

तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने राष्ट्रपति के लिए राज्य विधेयकों को मंजूरी देने की समयसीमा तय करने के संबंध में उच्चतम न्यायालय के हालिया आदेश को लेकर न्यायपालिका पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की ओर से की गई टिप्पणी के लिए उनकी आलोचना की।

पार्टी के उप महासचिव और राज्यसभा सदस्य तिरुचि शिवा ने कहा, ‘‘संविधान के अनुसार शक्तियों के बंटवारे के तहत, कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के पास अलग-अलग शक्तियां हैं।’’

उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘जब तीनों अपने-अपने क्षेत्रों में काम करते हैं तो किसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि संविधान सर्वोच्च है। राज्यपालों और राष्ट्रपति की भूमिका पर हाल ही में उच्चतम न्यायालय के फैसले में अनुच्छेद 142 का हवाला देते हुए निस्संदेह यह स्थापित किया गया है कि संवैधानिक प्राधिकारी होने के नाम पर कोई भी विधायिका द्वारा पारित विधेयकों को अनिश्चित काल तक रोक कर नहीं रख सकता।’’
 
वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की उच्चतम न्यायालय के इस फैसले पर टिप्पणियां अनैतिक हैं। हर नागरिक को पता होना चाहिए कि भारत में ‘‘कानून का शासन’’ कायम है।’’

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बृहस्पतिवार को न्यायपालिका द्वारा राष्ट्रपति के निर्णय लेने के लिए समयसीमा निर्धारित करने और ‘सुपर संसद’ के रूप में कार्य करने को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय लोकतांत्रिक ताकतों पर ‘परमाणु मिसाइल’ नहीं दाग सकता।

धनखड़ ने न्यायपालिका के प्रति यह कड़ी टिप्पणी राज्यसभा के प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए की। कुछ दिन पहले ही उच्चतम न्यायालय ने राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति के विचारार्थ रखे गए विधेयकों पर राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए समयसीमा तय की थी।

उन्होंने कहा था, ‘‘ हमारे पास ऐसे न्यायाधीश हैं जो कानून बनाएंगे, जो कार्यपालिका के कार्य करेंगे, जो सुपर संसद के रूप में कार्य करेंगे और उनकी कोई जवाबदेही नहीं होगी, क्योंकि देश का कानून उन पर लागू नहीं होता है।’’

उपराष्ट्रपति ने उच्चतम न्यायालय को पूर्ण शक्तियां प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद 142 को ‘‘न्यायपालिका को चौबीसों घंटे उपलब्ध लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ परमाणु मिसाइल’’ करार दिया।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad