चुनाव आयोग ने राज्य में चुनाव ड्यूटी पर तैनात केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के खिलाफ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के प्रथम दृष्टया "पूरी तरह गलत, भड़काऊ और तीखे बयानों" के लिए नोटिस जारी किया है।
गुरुवार रात जारी किए गए नोटिस में कहा गया है कि तृणमूल कांग्रेस नेता ने प्रथम दृष्ट्या केंद्रीय बलों के खिलाफ अपनी टिप्पणी से भारतीय दंड संहिता और आदर्श आचार संहिता के विभिन्न वर्गों का उल्लंघन किया है। मुख्यमंत्री को शनिवार सुबह 11 बजे तक नोटिस का जवाब देने के लिए कहा गया है।
चुनाव आयोग का कहना कि सीआरपीएफ सहित सभी अर्द्धसैनिकों बलों की चुनाव कराने महत्वपूर्ण भूमिका है, वह कानून व्यवस्था से लेकर निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराते हैं। आयोग ने कहा कि ममता बनर्जी का आरोप दुर्भाग्यपूर्ण है, इससे न सिर्फ चुनाव के दौरान, बल्कि चुनाव के बाद भी केंद्रीय सुरक्षा बलों पर सवाल उठेंगे।
चुनाव आयोग का कहना है कि ममता का बयान चुनाव आचार संहिता के साथ ही आईपीसी की धारा 186, 189 और 505 का उल्लंघन है। ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग ने 10 अप्रैल को दिन में 11 बजे तक जवाब मांगा हैं। आयोग का कहना है कि अगर ममता बनर्जी जवाब नहीं देती हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
पिछले कुछ दिनों में बनर्जी को यह दूसरा नोटिस है। बुधवार को उसने उसे सांप्रदायिक लाइनों के साथ वोट के लिए उनकी कथित अपील पर नोटिस जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि यह मॉडल कोड और जनप्रतिनिधित्व कानून का उल्लंघन है।
नोटिस में कहा गया है कि 28 मार्च और 7 अप्रैल को उनके द्वारा दिए गए बयानों के बाद, "और बाद के बयानों की ऐतिहासिकता ... यह स्पष्ट है कि सुश्री बनर्जी ... केंद्रीय पैरा मिलिट्री को शांत और ध्वस्त करने में लगातार लगी हैं।" बलों, जिन्होंने अक्सर कानून व्यवस्था की बहाली में संबंधित राज्य सरकार और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों की सहायता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है... नोटिस में कहा कि तृणमूल कांग्रेस और बनर्जी ने केंद्रीय बलों को कमजोर करने के लिए एक पैटर्न अपनाया है।
नोटिस में कहा गया है कि इन बलों उन्हें सौंपे गए कर्तव्यों पर सराहनीय काम किया है। नोटिस में हाल ही में छत्तीसगढ़ के बीजापुर में हुए घटना का भी उल्लेख किया है। इसमें कहा गया है कि विभिन्न राज्य और केंद्रीय एजेंसियां चुनावों के संचालन में चुनाव आयोग की मदद करती हैं, स्वतंत्र, निष्पक्ष, पारदर्शी और सुलभ चुनाव सुनिश्चित करने में केंद्रीय बलों की सराहनीय भूमिका निभाती है। “सुश्री बनर्जी शायद यह नहीं समझ रही हैं कि इस तरह के बयानों से पश्चिम बंगाल की राज्य पुलिस के बीच अविश्वास की भावना पैदा हो सकती है, जो एक-दूसरे के पूरक के बजाय केंद्रीय बलों के साथ भी अपना कर्तव्य निभा रहे हैं।
चुनाव आयोग ने कहा कि यह प्रथम दृष्टया आश्वस्त है कि बनर्जी के बयान आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता की धारा 186, 189 और 505 के भी उल्लंघन हैं।
तृणमूल सुप्रीमो ने कूच बिहार की एक चुनावी रैली में कहा था,“ केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल पर नजर रखें। उनका घेराव कीजिए क्यों कि वे लोगों को वोट डालने नहीं देते। एक दल उन्हें बातों में उलझा कर रखे और दूसरा दल वोट डालने जाये। इस तरह प्रत्येक व्यक्ति अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकता है।”
सुश्री बनर्जी ने गुरुवार काे एक रैली में दावा किया था कि पश्चिम बंगाल में चुनावी ड्यूटी पर लगाये गये केन्द्रीय बल केन्द्र सरकार के निर्देश पर काम कर रहे हैं। उन्होंने केन्द्रीय बलों पर ग्रामीणों पर अत्याचार करने और महिलाओं को प्रताड़ित करने का भी आरोप लगाया था।
तृणमूल सुप्रीमो ने अलीपुरद्वार जिले में एक चुनावी रैली में चुनाव आयोग पर केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल, केन्द्रीय औद्याेगिक सुरक्षा बल, सीमा सुरक्षा बल और भारत तिब्बत सीमा पुलिस की ओर से की जा रही ‘ज्यादतियों’ को नजरअंदाज करने का भी आरोप लगाया था।