सुप्रीम कोर्ट ने एल्गार परिषद-माओवाद संबंध मामले में गौतम नवलखा को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने मंगलवार को नवलखा को जमानत दे दी है।
कोर्ट ने गौतम नवलखा की जमानत पर लगी बंबई हाईकोर्ट की रोक को बढ़ाने से इनकार किया। साथ ही नवलखा को नजरबंदी के दौरान सुरक्षा खर्च के तौर पर 20 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने रोक को बढ़ाने से परहेज किया क्योंकि हाई कोर्ट का आदेश विस्तृत था और इसलिए भी कि मुकदमे को पूरा होने में कई साल लगेंगे।
पीठ ने कहा, विवादों पर विस्तार से चर्चा किए बिना, हम रोक को आगे नहीं बढ़ाएंगे। 20 लाख रुपये की राशि विपरीत पक्ष को यथाशीघ्र भुगतान किया जाए।
शीर्ष अदालत ने कहा कि नवलखा चार साल से अधिक समय से जेल में हैं और मामले में अभी तक आरोप तय नहीं किये गये हैं।
अदालत बॉम्बे हाईकोर्ट के दिसंबर 2023 के आदेश के खिलाफ एनआईए की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें नवलखा को जमानत दी गई थी। गौतम नवलखा, जो एक मानवाधिकार कार्यकर्ता और पीपुल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (पीयूडीआर) के पूर्व सचिव हैं, को अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया गया था।
हालाँकि शुरू में उन्हें जेल में रखा गया था, लेकिन बाद में उन्हें उनके घर में स्थानांतरित कर दिया गया और नवंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनकी अधिक उम्र के आधार पर उनकी याचिका स्वीकार करने के बाद घर में नजरबंद कर दिया गया। तब से वह नवी मुंबई में नजरबंद हैं। मामले में सोलह कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है और उनमें से पांच फिलहाल जमानत पर बाहर हैं।