केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि हम सभी घुसपैठियों और अवैध प्रवासियों की पहचान कर उसे अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत डिपोर्ट करेंगे। राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान अमित शाह ने बताया कि अभी असम में जो एनआरसी है वह असम समझौते का हिस्सा है।
अमित शाह ने कहा, 'सभी ने सदन में राष्ट्रपति का भाषण सुना होगा, जिस घोषणापत्र के आधार पर हम चुनकर आए हैं उसमें भी यह बात कही गई है। देश की इंच-इंच जमीन पर जितने भी अवैध प्रवासी रहते हैं, घुसपैठिए रहते हैं, इनकी हम पहचान करने वाले हैं और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत हम इनको डिपोर्ट करेंगे।'
असम को दूसरा कश्मीर नहीं बनने देंगे: शाह
लोकसभा चुनाव में भाजपा नेता अमित शाह ने असम के लखीमपुर में चुनावी रैली को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) बिल पर कहा था- हम असम को देश का दूसरा कश्मीर नहीं बनने देना चाहते हैं। मोदी सरकार एनआरसी इसीलिए लाई है।
हम एनआरसी लागू करने के लिए प्रतिबद्ध- मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनआरसी के मुद्दे पर राज्यसभा में कहा था कि कांग्रेस की राजीव गांधी सरकार ने ही एनआरसी स्वीकार किया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा। उस समय जो निर्णय हुआ था, उसे लागू करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं।
1951 में तैयार हुआ एनआरसी
नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स 1951 में तैयार किया गया। इसके मुताबिक जिन लोगों ने 24 मार्च 1971 को आधी रात में राज्य में प्रवेश किया है, उन सभी को भारतीय नागरिक का दर्जा प्राप्त है। एनआरसी को अपडेट करने की प्रक्रिया 2013 में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में शुरू की गई।
31 जुलाई को होगा फाइनल सूची का प्रकाशन
30 जुलाई 2018 को प्रकाशित सूची में 2.9 करोड़ लोगों को शामिल किया गया, जबकि आवेदन 3.29 करोड़ लोगों ने किया था। इस सूची में 44 लाख लोगों को बाहर कर दिया गया था। असम में एनआरसी सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में अपडेट की जा रही है। 31 जुलाई तक इसकी फाइनल सूची का प्रकाशन किया जाना है।