राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्यपाल कलराज मिश्रा द्वारा उठाए गए प्रश्नों पर शुक्रवार देर रात तक अपने मंत्रिमंडल के साथ सलाह-मशवरा करते रहे। सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी है। यह बैठक मुख्यमंत्री के आवास पर आयोजित की गई थी जो लगभग ढाई घंटे तक चली। सूत्रों ने बताया कि विधानसभा सत्र बुलाने के संबंध में राज्यपाल द्वारा दिए गए बिंदुओं पर बैठक में चर्चा हुई।"
दरअसल, विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर राज्यपाल कलराज मिश्रा ने मुख्यमंत्री को छह बिंदुओं का एक क्वेश्चनायर भेजा है। जिसमें उन्होंने गहलोत सरकार से पूछा है कि अगर उसके पास पहले से बहुमत है तो विधानसभा सत्र बुलाकर बहुमत परीक्षण क्यों चाहती है। राजभवन ने शुक्रवार शाम को यह पत्र सरकार के पास भिजवाया था। मुख्यमंत्री आवास पर करीब ढाई घंटे चली बैठक में इसी पर बात हुई।
दबाव की राजनीति नहीं होनी चाहिए: गवर्नर
गवर्नर ने राज्य सरकार को भेजे अपने नोट में कहा है कि 'कोई भी संवैधानिक दायरे से ऊपर नहीं है और दबाव की राजनीति नहीं होनी चाहिए।' बयान के अनुसार, मिश्रा ने कहा, 'राज्य सरकार ने 23 जुलाई की रात को राजभवन में एक चिट्ठी दी थी कि शॉर्ट नोटिस पर विधानसभा सत्र बुलाया जाए।' गवर्नर ने कहा कि उन्होंने कानूनी और संवैधानिक विशेषज्ञों से इसपर सलाह ली है। इसके बाद, छह बिंदुओं को उठाते हुए एक नोट सरकार के पास भेजा गया है।
किस वजह से सरकार ने विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की है?
अपने नोट में गवर्नर ने कहा है कि कैबिनेट नोट में विधानसभा सत्र की कोई तारीख नहीं बताई गई है, न ही सरकार ने किस वजह से यह बुलाने की मांग की है, वह भी नहीं बताया गया है। कैबिनेट ने सत्र के लिए कोई अप्रूवल भी नहीं दिया है। गवर्नर ने कहा कि सामान्य परिस्थितियों में 21 दिन का नोटिस देना अनिवार्य होता है।
राजभवन के बयान में कहा गया कि गवर्नर ने सरकार से कहा है कि 'सभी विधायकों की स्वतंत्रता और आने-जाने की आजादी सुनिश्चित करें।' गवर्नर ने यह भी पूछा है कि राज्य में कोविड-19 के हालात को देखते हुए विधानसभा सत्र कैसे बुलाया जा सकता है। राज्यपाल ने साफ निर्देश दिए हैं कि 'सरकार अपनी हर कार्रवाई में संवैधानिक मर्यादा और जरूरी प्रक्रिया का पालन जरूर करे।'
धरने के बाद राजभवन ने छह बिंदुओं पर सरकार से मांगी सफाई
सचिन पायलट समेत 19 विधायकों की बगावत के बाद गहलोत सरकार राजनीतिक संकट झेल रही है। गहलोत सरकार चाहती है कि राज्यपाल विधानसभा सत्र बुलाएं ताकि वह बहुमत साबित कर सकें। इससे पहले शुक्रवार को गहलोत ने कहा था कि गवर्नर को विधानसभा सत्र बुलाने के लिए पत्र लिखा गया था मगर कोई ऐक्शन नहीं हुआ। जब गहलोत समर्थक विधायकों ने राजभवन के सामने करीब पांच घंटे तक धरना दिया, तो गवर्नर ने कहा कि वह संवैधानिक प्रावधानों के हिसाब से काम करेंगे। इसी के बाद, राजभवन की ओर से कहा गया कि गवर्नर ने छह बिंदुओं पर सरकार से सफाई मांगी है।