लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) में मचे भीतरी घमासान के बीच सभी पार्टियां अपने-अपने तरीके से इसका फायदा उठाने में जुटी हुई हैं। बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल (युनाइटेड) के साथ सांसद पशुपति कुमार पारस गुट के जाने की अटकले हैं। हालांकि, उन्होंने बार-बार इस बात को दोहराया है कि वो नीतीश से हाथ नहीं मिलाएंगे और एनडीए का हिस्सा रहेंगे। गौरतलब है कि चिराग के नेतृत्व में लोजपा ने बिहार एनडीए से अलग होकर संपन्न हुए विधानसभा चुनाव लड़ा था और नीतीश को भारी नुकसान पहुंचाया था। वहीं, विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) एलजेपी के अध्यक्ष चिराग पासवान को अपने साथ लाने की कोशिशों में जुटी हुई है। तेजस्वी ने खुले तौर पर इसका आमंत्रण चिराग को दिया है। वहीं, आउटलुक से बातचीत में बीते दिनों राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा था कि यदि चिराग तेजस्वी का साथ देते हैं तो उनका खुले दिल से स्वागत है। साथ हीं, आउटलुक के साथ बातचीत में तिवारी ने ये भी दावा किया था कि सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए सरकार बस कुछ महीनों की है। घटक दल हम और वीआईपी दोनों- नीतीश के रवैये से नाखुश हैं और मांझी-साहनी तेजस्वी के संपर्क में हैं। अब राजद ने चिराग को अपने पाले में करने के लिए एक और चाल चल दी है।
5 जुलाई को लोजपा की स्थापना करने वाले दिवंगत नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का जन्मदिन है। आजतक की खबर के मुताबिक, चिराग को साथ लाने के लिए राजद इस अवसर को भुनाने की कोशिश में जुट गई है। राजद ने तय किया है कि 5 जुलाई को उनकी पार्टी रामविलास पासवान की जयंती मनाएगी। उल्लेखनीय है कि 5 जुलाई की तारीख राजद के लिए भी खास है। वो इसलिए क्योंकि इस दिन राजद का भी 25वां स्थापना दिवस है और इसी दिन रामविलास पासवान का जन्मदिन भी है। ऐसे में राजद ने फैसला किया है कि स्थापना दिवस के कार्यक्रम से पहले रामविलास पासवान की जयंती मनाई जाएगी।
आशीर्वाद यात्रा निकालेंगे चिराग पासवान
चाचा पशुपति कुमार पारस गुट और चिराग पासवान खेमे के बीच कुर्सी को लेकर लोक जनशक्ति पार्टी के भीतर खींचातानी जारी है। चिराग समर्थकों और नेताओं का कहना है कि पासवान पार्टी के अध्यक्ष हैं। वहीं, बीते दिनों पारस समर्थक सांसदों और समर्थकों ने चिराग को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटाते हुए सूरजभान सिंह को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया था। उसके बाद पारस को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की बात कही गई। जिसके बाद चिराग ने कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर अपना शक्ति प्रदर्शन किया था। चिराग पासवान 5 जुलाई को हाजीपुर से आशीर्वाद यात्रा पर निकलने वाले हैं। हाजीपुर दिवंगत रामविलास पासवान का गढ़ माना जाता रहा है। अब ये लोकसभा क्षेत्र बागी चाचा पशुपति पारस का है। आशीर्वाद यात्रा के दौरान चिराग बिहार के सभी जिलों का दौरा करेंगे और ये संदेश देने की कोशिश होगी कि रामविलास पासवान की राजनीतिक विरासत के असली उत्तराधिकारी वो खुद हैं। माना जा रहा है कि इस यात्रा के दौरान चिराग अपने दलित वोट बैंक को भी मजबूत करने की कोशिश करेंगे।
बता दें, गत वर्ष हुए बिहार विधानसभा चुनाव में एलजेपी को लगभग 6 फीसदी और संख्या में 26 लाख वोट मिले थे। वहीं, मात्र एक विधायक जीतने में सफल हुए थे। लेकिन, ये एकमात्र विधायक ने भी बीते महीने नीतीश का दामन थामते हुए पाला बदल जेडीयू में शामिल हो गए थे। अब तेजस्वी इस कोशिश में हैं कि चिराग के पास जो 6 फीसदी पासवान वोट बैंक है उसको अपनी ओर खींचा जाए, जिसका लाभ उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव और फिर 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव में मिल सके। राजनीतिक जानकारों का ये भी मानना है कि नीतीश को चिराग ने विधानसभा चुनाव में काफी नुकसान पहुंचाया है। यदि तेजस्वी-चिराग साथ आते हैं तो ऐसे में महागठबंधन को काफी फायदा हो सकता है। लेकिन, चिराग अब तक इस बात से इंकार करते रहे हैं और उनका कहना है कि वो एनडीए का हिस्सा बने रहेंगे। हालांकि, अभी तक के पूरे लोजपा घटनाक्रम और घमासान पर बीजेपी के किसी भी बड़े आलाकमानों की कोई टिप्पणी नहीं आई है। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या भाजपा ने चाल चलकर चिराग को राजनीति में अकेला छोड़ दिया है।