बिहार में हर रोज सियासी टकराव और बयानबाजी का दौर चलता रहता है। इस पूरे राजनीतिक बवंडर के केन्द्र में रहते हैं सूबे के सीएम नीतीश कुमार। लेकिन पिछले कुछ दिनों से वे अलग-थलग दिखाई दे रहे हैं। महागठबंधन से नाता तोड़कर एनडीए के साथ सरकार बनाने वाले नीतीश अब भाजपा से भी खफा नजर आ रहे हैं। इस बीच उन्होंने राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से फोन पर उनके सेहत की जानकारी ली। इस वाकये से सूबे के राजनीतिक गलियारे में फिर से हलचल होने लगी है। हालांकि लालू के बटे और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा है कि नीतीश कुमार के लिए महागठबंधन के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो गए हैं। लेकिन राजनीति तो राजनीति है यहां लंबे समय तक ना कोई दुश्मन होता है ना ही दोस्त..।
बता दें कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का मुंबई के एक अस्पताल में फिस्टुला का ऑपरेशन पिछले रविवार को हुआ। मीडिया में नीतीश के लालू से फोन पर बात करने की खबर आने के बाद लालू के बेटे तेजस्वी इस पर बहुत ज्यादा खुश नहीं दिखे। उन्होंने ट्वीट के जरिए कटाक्ष करते हुए कहा कि लालू यादव का फिस्टुला का ऑपरेशन रविवार को हुआ था, और यह कुछ नहीं बल्कि देरी से किया गया कर्टसी कॉल था। उन्होंने लालू के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली, लेकिन हैरानी है कि नीतीश ने पिछले चार महीने से उनका हालचाल नहीं लिया। आज फोन कर पूछा। शायद उन्हें पता चला कि भाजपा और एनडीए के लोग अस्पताल जाकर उनका हालचाल पूछ रहे हैं, इसलिए उन्होंने भी फोन कर लिया।
नीतीश के लिए 'महागठबंधन' के दरवाजे बंद
पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए महागठबंधन के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो गए हैं। उन्होंने यह भी साफ किया कि इस मामले को लेकर राजद महागठबंधन के किसी अन्य दलों के दबाव में भी नहीं आएगा। उन्होंने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि नीतीश कुमार ने जनादेश का अपमान किया और यहां की जनता नीतीश को कभी माफ नहीं करेगी।
क्या अलग-थलग पड़ गए हैं नीतीश?
सीएम नीतीश कुमार क्या सियासी तौर पर अलग-थलग पड़ गए हैं?.. कम से कम हाल-फिलहाल का घटनाक्रम तो यही दिखा रहा है। राजद से पहले ही वे रिश्ते-नाते तोड़ चुके हैं। अब भाजपा से भी उनकी नाराजगी दबी जुबान बाहर निकल रही है। पिछले कुछ दिनों से नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जदयू के हाव-भाव एनडीए-भाजपा को लेकर बदले-बदले दिखाई दे रहे हैं। मुख्यमंत्री के एक के बाद असहज कर देने वाले बयान भी सामने आ रहे हैं। ऐसे में नीतीश द्वारा लालू के हाल-चाल लेने को लोग सियासी निगाह से भी देख रहे हैं। पिछले दिनों जदयू ने भाजपा पर दबाब बनाते हुए बिहार में नीतीश कुमार के चेहरे की बात की तो भाजपा नेताओं ने इसे कोई खासा भाव नहीं दिया। भाजपा विधायक नितीन नवीन ने तो यहां तक कह दिया कि पहले जदयू को अपने आप को आईने में देखना चाहिये। 2014 में जदयू ने कितनी सीटें जीती थीं ये उन्हें अच्छे से पता है। ऐसे में नीतीश कुमार का सियासी सफर किस ओर जाता है इस पर सबकी दिलचस्पी बनी हुई है।