बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती का आज जन्मदिन है। अपने जन्मदिन के मौके पर मायावती ने किसान कर्जमाफी को लेकर केंद्र और राज्य सरकार पर निशाना साधा। साथ ही, मायावती ने सपा और बसपा कार्यकर्ताओं से पुराने मतभेद भुलाकर आगामी लोकसभा चुनाव में इन पार्टियों के गठबंधन के प्रत्याशियों को जिताने की अपील की। उन्होंने कहा कि अगले लोकसभा चुनाव में सपा तथा बसपा के प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करें। यही उनके लिए जन्मदिन का सबसे बड़ा तोहफा होगा।
न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक बसपा की सुप्रीमो मायावती ने कहा, हमने हमेशा गरीबों और दलितों के लिए काम किया है। सरकार को 100 फीसदी कृषि ऋणमाफी देनी चाहिए अन्यथा किसानों की आत्महत्याएं जारी रहेंगी। एक मजबूत कृषि ऋणमाफी नीति बनाई जानी चाहिए। उन्होंने कर्जमाफी पर केंद्र और राज्य सरकारों की घोषणा को बेकार बताते हुए कहा कि इससे किसानों को कोई फायदा नहीं मिलता। इससे उन्हें कर्ज से कोई मुक्ति नहीं मिलती। सरकारों को किसानों का पूरा कर्ज माफ करने की जरूरत है। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि भाजपा और कांग्रेस की सरकार ने अधिकांश राज किया है, अल्पसंख्यक-गरीब-दलित विरोधी नीतियों की वजह से हमें आखिरकार अलग पार्टी बसपा बनानी पड़ी, कई और पार्टियां बनी।
किसानों की स्थिति को लेकर उन्होंने कहा कि अभी तक किसानों की स्थिति में कोई फर्क नही आया, उनकी स्थिति खराब बनी हुई है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में नतीजों ने भाजपा को सबक सिखाया लेकिन इससे कांग्रेस एंड कंपनी को भी सबक सीखने की जरूरत है। कांग्रेस की सरकारों पर अभी से उंगली उठानी शुरू कर दी गई है। कांग्रेस सरकार में कर्जमाफी की सीमा केवल 9 महीने पहले की क्यों तय की गई? जिन शर्तों के आधार पर केवल 2 लाख का कर्ज माफ करने की बात कही इससे कोई खास लाभ किसानों को नहीं मिलने वाला है।
‘किसानों की कर्जमाफी के लिए केंद्र राज्य सरकारों को कोई ठोस नीति बनानी चाहिए’
मायावती ने कहा कि एक बार पूरी कर्ज राशि माफ करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है, आगे कर्ज न लेना पड़े इसके लिए सभी समस्याओं को दूर करना चाहिए और स्थायी नीति बनानी चाहिए, सरकारें स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को पूरे तौर पर मानकर अमल करती हैं तो समाधान निकल सकता है।
जीएसटी और नोटबन्दी से और दयनीय हो गई दलित आदिवासियों की स्थिति
बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि दलित, आदिवासी, पिछड़ा और अल्पसंख्यक जो भूमिहीन हैं, जो छोटे मोटे काम के लिए कर्ज लेते हैं, इनकी कर्जमाफी के लिए कोई ठोस कदम नही उठाए गए, जीएसटी और नोटबन्दी से इनकी स्थिति और दयनीय हो गई है, इन सरकारों में इनके हित न सुरक्षित रहे हैं न आगे रहेंगे।
धन्नासेठों की गुलामी नहीं करती बीएसपी
हमारी पार्टी धन्नासेठों की गुलामी नही करती। रक्षा सौदों में केंद्र सरकार विपक्षी पार्टियों को भी विश्वास में लेकर एक दीर्घकालीन नीति तैयार करे। उन्होंने कहा, बीजेपी-आरएसएस ने धर्म के नाम पर न केवल राजनीति करने का काम किया बल्कि देवी-देवताओं को भी जाति में बांटने का घिनौना काम किया। ये दुखद स्थिति है। मुसलमानों की जुमा की नमाज रोकना शुरू कर दिया है।
सीबीआई मामले को लेकर मायावती का हमला
सीबीआई और संवैधानिक संस्थानों का दुरुपयोग कर रहे है। इसका ताजा उदाहरण सपा अध्यक्ष का सीबीआई में नाम लाना है। चुनाव को देखते हुए उत्तर प्रदेश में सरकार ने सीबीआई को एक्टिव कर लिया है, इसके पीछे क्या कारण है साफ तौर पर दिखाई पड़ रहा है कि अखिलेश यादव पर आरोप लगाया गया है जो कि बिलकुल निराधार है।
भाजपा की गलत नीतियों से जनता परेशान हो गई है
भाजपा सरकार ने जनता को लगातार धोखा दिया है। उन्होंने वादा किया था सरकार 15 लाख रुपये सभी को देगी एवं कई रोजगार के साथ अन्य कई प्रकार के जनता को लोभ दिया था जो कि सरकार ने अभी तक नहीं दी है और जनता को बेवकूफ बना रही है। भाजपा की गलत नीतियों से जनता परेशान हो गई है और उनके बहकावे में नहीं आने वाली है। इसलिए गठबंधन देश के आम लोगों के लिए उनकी उम्मीदों पर खरे उतरने के लिए एवं उनको उनका हक दिलाने के के लिए पूरे जोर-शोर से भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे और सरकार बनाने के लिए तत्पर हैं।
किसानों की ऋणमाफी पर बसपा सुप्रीमो के इस बयान को राजनीति में किसान वोट बैंक की बढ़ती अहमियत से जोड़कर देखा जा सकता है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने किसानों की ऋणमाफी का दांव खेला था जो सही साबित हुआ। इन चुनावों में किसानों ने कांग्रेस पार्टी के पक्ष में मतदान किया और उसे सत्ता के सिंहासन तक पहुंचाया।
मायावती लगातार पार्टी वर्कर्स के साथ कर रही हैं बैठकें
आने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए मायावती पार्टी वर्कर्स के साथ लगातार बैठकें कर रही हैं। जमीनी हकीकत का पता लगाने के लिए वो लगातार अपने कार्यकर्ताओं से मिल रही हैं और चुनावी तैयारियों का जायजा ले रही हैं। उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा ने प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है लेकिन ये सीटें कौन सी होंगी, यह अभी तय नहीं हैं। माना जा रहा कि मायावती जन्मदिन के मौके पर इस बात का ऐलान कर सकती हैं कि उनकी पार्टी किन सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इस पर सभी की निगाहें डटी हुई हैं।
पिछले दिनों सपा-बसपा के बीच हुआ गठबंधन का ऐलान
मायावती के 63वें जन्मदिन को बीएसपी के कार्यकर्ताओं ने भव्य तरीके से मनाने की तैयारी कर रखी है। लखनऊ में बड़े-बड़े होर्डिंग्स लगाए गए हैं। अभी तीन दिन पहले सपा-बसपा ने 23 साल पुरानी दुश्मनी को भुलाकर दोस्ती का हाथ मिलाया है और दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन का ऐलान कर दिया है। अखिलेश यादव और मायावती के बीच हुई दोस्ती भी पोस्टर और बैनरों में नजर आने लगी है।
लखनऊ में बसपा कार्यालय के बाहर लगाए गए बैनर और पोस्टर
मायावती के जन्मदिन पर उन्हें बधाई देने के लिए लखनऊ में बसपा कार्यालय के बाहर बैनर और पोस्टर लगाए गए हैं। दिलचस्प बात ये है कि बसपा कार्यकर्ताओं के साथ-साथ सपा कार्यकर्ताओं ने भी मायावती के जन्मदिन पर बधाई के पोस्टर लगाए हैं। बताया जा रहा है कि बीएसपी की तरफ से मायावती के जन्मदिन के मौके पर किसी भी पार्टी या नेता को आमंत्रित नहीं किया गया है। लेकिन ऐसा कहा जा रहा है गठबंधन के नेता उन्हें शुभकामना संदेश देने के लिए आ सकते हैं।
जन्मदिन पर ये है मायावती का कार्यक्रम
पिछले कई सालों से मायावती का जन्मदिन हर साल 'जन कल्याणकारी दिवस' के तौर पर मनाया जाता है। इस बार भी सूबे भर के सभी जिलों में बसपा कार्यकर्ता और पदाधिकारी गरीबों को कपड़े, भोजन और अन्य जरूरी सामान बांटकर जन्मदिवस मना रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक, मायावती का जन्मदिन लखनऊ में बसपा मुख्यालय में मनाया जा रहा। यहां मायावती 63 किलो का केक काटेंगी। बसपा अध्यक्ष के भाषण का सूबे के सभी जिला मुख्यालय में प्रसारण किया जाएगा। इसके बाद वो लखनऊ से दिल्ली के लिए जाएंगी, जहां सहयोगी दलों के नेता उनसे मुलाकात करेंगे और जन्मदिन की बधाई देंगे।