बीते दिनों उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में हुई हिंसा और पुलिस अफसर सुबोध सिंह की हत्या ने पूर्व नौकरशाहों को इतना व्यथित कर दिया कि उन्हें एक खुला खत लिख कर अपना दुख जाहिर करना पड़ा। हर काडर के अखिल भारतीय और केंद्रीय सेवा के 83 सेवानिवृत्त आइएएस, आइएफएस, आइपीएस, आइआरएस अधिकारियों ने देश के नाम यह खत लिखा है।
इस पत्र में उन्होंने चिंता जाहिर की है कि पिछले कुछ दिनों से संवैधानिक मूल्यों का तेजी से क्षरण हो रहा है। पत्र की शुरुआत में अधिकारियों ने लिखा है कि अपने लंबे कार्यकाल में उन्होंने महसूस किया है कि भारत का संविधान सभी को अपनी बात कहने की आजादी देता है लेकिन जब से (जून 2017) हम सब लोग साथ आए हैं, हम कई बार कह चुके हैं कि संवैधानिक मूल्य संकट में हैं।
पत्र में लिखा गया है कि बुलंदशहर में मारे गए पुलिस अधिकारी सुबोध सिंह की हत्या पहला मामला नहीं है। उत्तर प्रदेश का इतिहास ऐसी घटनाएं दोहराता रहता है। इससे पहले भी कई पुलिसवाले भीड़ के हाथों अपनी जान गंवा चुके हैं। यह भी पहली बार नहीं है जब गाय की सुरक्षा को लेकर एक समुदाय को अलग-थलग कर दिया जाता है और समाज को बांटने का काम किया जाता है। सेवा के हमारे सहकर्मी जो पुलिस या सिविल एडमिनिस्ट्रेशन में हैं, के पास राजनैतिक दबाव के भयानक अनुभव हैं।
पत्र में आगे लिखा है कि हमारे प्रधानमंत्री जो चुनाव प्रचार में इतनी बात करते हैं कभी भी यह बताने की कोशिश नहीं करते कि सिर्फ भारत का संविधान ही हमारे लिए पवित्र ग्रंथ की तरह है। वे उस वक्त भी चुप्पी साधे रहते हैं जब देखते हैं कि उनके द्वारा चुना गया मुख्यमंत्री ही उसी संविधान का अपमान करता है। यह कठिन क्षण है और अब इस पर चुप नहीं रहा जा सकता है। अब वक्त आ गया है कि सभी नागरिक मिल कर नफरत और बांटने की राजनीति के विरुद्ध संगठित हों।
पत्र में अपील की गई है कि सभी मिल कर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग करें। क्योंकि उन्होंने जिस संविधान की शपथ ली उसकी रक्षा करने में विफल रहे हैं। सभी चीफ सेक्रेटरी, डीजी, गृह सचिव और उच्च पद पर मौजूद सभी अफसरों को याद दिलाया जाए कि राजनैतिक दबाव में न आकर निर्भय होकर अपनी ड्यूटी करें। साथ ही हम इलाहाबाद उच्च न्यायलय से अनुरोध करते हैं कि वह बुलंदशहर के मसले पर स्वतः संज्ञान ले, ताकि सच्चाई सामने आए और इसमें राजनैतिक भूमिका का पता चल सके।