रविवार को मंत्रिपरिषद में हुए फेरबदल और विस्तार के बाद मार्क्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी (सीपीएम) ने कहा कि यह सब सिर्फ नोटबंदी की असफलताओं से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए किया गया है।
सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा, 'सभी जानते हैं कि यह देश सिर्फ प्रधानमंत्री और पीएमओ के आदेश पर चल रहा है। इसलिए मंत्रिमंडल में कौन कहां बैठता है, इससे कोई नहीं पड़ता है। यह सिर्फ नोटबंदी की असफलताओं से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए किया गया है।" इससे पहले शरद यादव ने कहा कि आज मंत्रिपरिषद के बड़े फेरबदल से कोई बदलाव नहीं आने वाला है, जब तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 2014 में किए अपने वादों को पूरा नहीं करते हैं।
सीताराम येचुरी ने आज नोटंबदी पर सवाल खड़े करत हुए भी ट्वीट भी किया। येचुरी ने केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए ट्वीट में लिखा, "नए नोट पहले से मुद्रित क्यों नहीं किए गए? इससे 100 से अधिक लोगों की जान बच सकती थी। यह सरकार गरीब लोगों की परवाह नहीं करती है।"
Why were the new notes not printed in advance? It would have spared over 100 lives. This govt does not care about poor lives or livelihoods
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) September 3, 2017
येचुरी ने एक अन्य ट्वीट में लिखा, "आरबीआई के साथ कोई सलाह मशवरा नहीं किया गया; विमुद्रीकरण की सलाह किसने दी? इससे लाभ पाने वाला कौन हैं? निश्चित रूप से कोई आम भारतीय तो नहीं हैं।"
No meaningful consultation with the RBI; so who advised on Demonetisation?
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) September 3, 2017
Who are the gainers?
Certainly not the average Indian. pic.twitter.com/1Y36wP4yds
येचुरी का ये ट्वीट आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के उस खुलासे के बाद आया जिसका उल्लेख उन्होंने अपनी आने वाली नई किताब 'I Do What I Do: On Reforms Rhetoric and Resolve' में किया है। राजन ने केंद्र सरकार के नोटंबदी के फैसले पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि उन्होंने सरकार को चेताया था कि नोटंबदी के इस फैसले से अल्पकाल में होने वाला नुकसान लंबी अवधि तक भारी पड़ेंगे। रघुराम राजन ने आगे कहा, "मैंने कभी भी नोटबंदी का समर्थन नहीं किया बल्कि नरेंद्र मोदी सरकार को नोटबंदी के खतरों के बारे में चेतावनी दी थी।"