सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर सोमवार से अंतिम सुनवाई शुरू हो रही है। इसे लेकर राजनीतिक बयानबाजी भी तेज है। अब सुनवाई से ठीक पहले इस मुद्दे पर आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार का बयान आया है।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, इंद्रेश कुमार ने कहा है कि जिस तरह काबा, हरमंदिर साहब और वेटिकन को बदला नहीं जा सकता है, उसी तरह राम जन्मस्थान भी बदला नहीं जा सकता है। यह एक सत्य है।
बता दें कि अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले में अब सुप्रीम कोर्ट की नई बेंच सुनवाई करेगी। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में शुरुआती सुनवाई 29 अक्टूबर को होगी और उस दिन ही नियमित सुनवाई की तारीख तय होगी। चीफ जस्टिर रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस के एम जोसेफ की बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी।
'अब हिन्दुओं का सब्र टूट रहा है’
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, 'अब हिन्दुओं का सब्र टूट रहा है। मुझे भय है कि अगर हिन्दुओं का सब्र टूटा तो क्या होगा?'
राष्ट्रीय बजरंग दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज कुमार का कहना है कि यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या और केंद्रीय मंत्री गिरिराज हिंदुओं को बेवकूफ बना रहे हैं। तीन राज्यों में चुनाव नजदीक है। राम मंदिर के नाम पर यह हिंदुओं को झुनझुना देना चाहते हैं। जबकि राजीव गांधी सरकार ने शाह बानो केस पर कोर्ट के आदेश को पलटकर और उसकी पुनरावृत्ति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एससी एसटी एक्ट पर कोर्ट के निर्णय को चुनौती देकर संसद में कानून बनाकर हिंदुओं में फूट डालने का कार्य किया। भाजपा के जुमलेबाज नेता अमित शाह सबरीमलाई पर कोर्ट को चेतावनी देते हैं कि वह अपनी हद में रहे और आस्था के निर्णय कोर्ट में तय नहीं किए जा सकते। दूसरी तरफ 56 इंची सीना दहाड़ रहा है कि राम जन्म भूमि पर हम कोर्ट का सम्मान करेंगे तो यह जुमलाबाजी नहीं तो क्या है।
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अशोक सिंह का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का निर्णय सर्वमान्य है। भाजपा गलत बयानबाजी कर रही है। चुनाव के वक्त भाजपा को राम याद आते हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह सुप्रीम कोर्ट को भी चेतावनी दे रहे हैं, यह सही नहीं है।
रालोद के प्रदेश प्रभारी राजकुमार सांगवान का कहना है कि आस्था के विषय का राजनीतिक इस्तेमाल ना हो। चुनाव के समय इसे उछाला जाता है, इसे चुनाव से दूर रखा जाए। चार साल से सरकार है केंद्र में, क्यूं नहीं निर्माण कराया गया। अब चुनाव है तो राम मंदिर याद आ रहा है।
आरएसएस प्रमुख भी कानून लाने की कर चुके हैं मांग
विजयदशमी से पहले अपने संबोधन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक प्रमुख मोहन भागवत ने राम मंदिर बनाने का आह्वान किया। भागवत ने कहा था कि मंदिर पर चल रही राजनीति को खत्म कर इसे तुरंत बनाना चाहिए। उन्होंने यहां तक कहा कि जरूरत हो तो सरकार इसके लिए कानून बनाए। 2019 के चुनावों के लिए तेज हो रही सरगर्मियों के बीच मोहन भागवत के इस बयान के राजनीतिक निहातार्थ भी निकाले जा रहे हैं।
संघ प्रमुख ने कहा था कि बाबर ने राम मंदिर को तोड़ा और अयोध्या में राम मंदिर के सबूत भी मिल चुके हैं। उन्होंने कहा था कि अब यह मामला न्यायालय में चल रहा है लेकिन कितना लंबा चलेगा? भागवत ने कहा, 'इस मामले में राजनीति आ गई इसलिए मामला लंबा हो गया। रामजन्मभूमि पर शीघ्रतापूर्वक राम मंदिर बनना चाहिए। इस प्रकरण को लंबा करने के लिए हुई राजनीति हुई को खत्म होना चाहिए।'
लोग कहते हैं कि सरकार है फिर क्यों नहीं: भागवत
मोहन भागवत ने राम मंदिर बनाने की मांग उठाते हुए परोक्ष रूप से मोदी सरकार को भी नसीहत दी। मोहन भागवत ने कहा, 'भगवान राम किसी एक संप्रदाय के नहीं है। वह भारत के प्रतीक नहीं हैं। सरकार को किसी भी तरह करे, कानून लाए। लोग यह पूछ रहे हैं कि उनके द्वारा चुनी गई सरकार है फिर भी राम मंदिर क्यों नहीं बन रहा।'
क्या है अयोध्या विवाद
6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था। इस मामले में आपराधिक केस के साथ-साथ दिवानी मुकदमा भी चला। टाइटल विवाद से संबंधित मामला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाई हाई कोर्ट ने दिए फैसले में कहा था कि तीन गुंबदों में बीच का हिस्सा हिंदुओं का होगा जहां फिलहाल रामलला की मूर्ति है। निर्मोही अखाड़ा को दूसरा हिस्सा दिया गया इसी में सीता रसोई और राम चबूतरा शामिल है। बाकी एक तिहाई हिस्सा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को दिया गया। इस फैसले को तमाम पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। 9 मई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा यथास्थिति बहाल कर दी थी।