सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा को उनके पद से हटा दिया गया है। पीएम मोदी के नेतृत्व में सेलेक्शन कमेटी की हुई बैठक के बाद यह फैसला किया गया। सेलेक्शन पैनल की बैठक के बाद उनका तबादला कर दिया गया। बैठक में पीएम मोदी, लोकसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और जस्टिस एके सीकरी शामिल थे। कमेटी ने 2-1 से यह फैसला लिया। कमेटी को एक हफ्ते में तय करना था कि आलोक वर्मा को हटाया जाए या नहीं, लेकिन उसने आज ही अपना फैसला सुना दिया। बता दें कि बुधवार को भी पीएम आवास पर सेलेक्शन कमेटी की बैठक हुई थी। नागेश्वर राव को फिर से सीबीआई डायरेक्टर बनाया गया है। साथ ही आलोक वर्मा को फायर सर्विसेज का डीजी नियुक्त किया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने की थी वर्मा की बहाली
सीबीआई विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अहम फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के सरकार के निर्णय को पलटते हुए उनकी बहाली का फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डीएसपीई एक्ट के तहत उच्चाधिकार समिति एक सप्ताह के भीतर इस मामले को देखेगी और इस दौरान वह कोई नीतिगत फैसला नहीं करेंगे। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सरकार के लिए एक झटके के रूप में देखा गया।
'सीबीआइ चीफ को मिलें पूरे अधिकार'
इससे पहले बुधवार को हुई सेलेक्शन कमेटी की बैठक बेनतीजा रही थी। रिपोर्ट के मुताबिक, चयन समिति की बैठक में मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि आलोक वर्मा को सीबीआइ निदेशक के पूरे अधिकार दिये जाने चाहिए। इसके साथ ही खड़गे ने आलोक वर्मा के खिलाफ सीवीसी की जांच के सभी दस्तावेज समिति के सामने पेश करने की मांग की। उनका कहना था कि सिर्फ सीवीसी की जांच के आधार पर फैसला नहीं किया जा सकता है। यह देखना जरूरी है कि सीवीसी ने जांच किन दस्तावेजों के आधार पर की थी।
कुर्सी संभालते ही किए पांच ट्रांसफर
आलोक वर्मा ने बुधवार को 77 दिनों बाद अपना पद संभालते ही तत्कालीन निदेशक (प्रभारी) एम नागेश्वर राव द्वारा किए गए लगभग सारे तबादले रद्द कर दिए थे। वहीं गुरुवार को उन्होंने बड़े फैसले लेते हुए पांच अधिकारियों के तबादले कर दिए। वर्मा ने जेडी अजय भटनागर, डीआईजी एमके सिन्हा, डीआईजी तरुण गौबा, जेडी मुरुगसन और एडी एके शर्मा का तबादला किया। साथ ही गुरुवार को उन्होंने सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के खिलाफ जांच के लिए आईपीएस अधिकारी मोहित गुप्ता की नियुक्ति भी की।
आलोक वर्मा बनाम राकेश अस्थाना
सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और जांच एजेंसी के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच छिड़ी जंग सार्वजनिक होने के बाद सरकार ने दोनों अधिकारियों को उनके अधिकारों से वंचित कर अवकाश पर भेजने का निर्णय किया था। दोनों अधिकारियों ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाये थे।
वर्मा ने केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के एक और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के दो सहित 23 अक्टूबर 2018 के कुल तीन आदेशों को निरस्त करने की मांग की थी। उनका आरोप है कि ये आदेश क्षेत्राधिकार के बिना तथा संविधान के अनुच्छेदों 14, 19 और 21 का उल्लंघन करके जारी किए गए। केन्द्र ने इसके साथ ही 1986 बैच के ओडिशा कैडर के आईपीएस अधिकारी एवं ब्यूरो के संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को जांच एजेन्सी के निदेशक का अस्थाई कार्यभार सौंप दिया था।