आईएएस अफसरों की कथित हड़ताल को लेकर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच टकराव देखने को मिल रहा है। इसे लेकर दिल्ली में आप सरकार पिछले पांच दिनों से धरने पर है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने मंत्रियों के साथ एलजी निवास में डटे हुए हैं। उनके साथ डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, मंत्री गोपाल राय, सत्येंद्र जैन भी एलजी निवास पर पांचवें दिन भी जमे हुए हैं। सत्येंद्र जैन पिछले चार दिनों से और मनीष सिसोदिया तीन दिनों से अनिश्तिकालीन भूख हड़ताल पर हैं। वहीं सीएम केजरीवाल के दफ्तर के वेटिंग रूम में भाजपा विधायकों का धरना भी जारी है।
एलजी-पीएम से नहीं मिला कोई जवाब
अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा है कि सुप्रभात, आज सत्येन्दर जी के अनशन का चौथा दिन है। मनीष जी के अनशन का तीसरा दिन है। कल एलजी साहब से मिलने का समय मांगा था। उन्होंने जवाब भी नहीं दिया। प्रधानमंत्री जी से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया। उन्होंने भी कोई जवाब नहीं दिया। उम्मीद करता हूं दिल्ली को जल्द समाधान मिलेगा।
बता दें कि केजरीवाल ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर कहा है कि उपराज्यपाल उनकी बात नहीं सुन रहे हैं। उन्होंने पीएम से अपील किया कि वे इस मामले में दखल दें और पिछले तीन महीने से जो आईएएस अफसरों की हड़ताल खत्म कराएं। केजरीवाल ने लिखा है कि इन अफसरों का ट्रांसफर करना या इनपर कार्रवाई करना सब केंद्र सरकार और एलजी के हाथ में है। इसलिए हम कुछ नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने लिखा है, “अब तो लोगों ने भी कहना शुरू कर दिया है कि ये हड़ताल केंद्र सरकार और एलजी मिलकर करवा रहे हैं।”
भाजपा और कपिल का पलटवार
आप के बागी विधायक कपिल मिश्रा दिल्ली सचिवालय पर धरने पर बैठे हैं। उन्होंने ट्वीट करके कहा, “सीएम ऑफिस में धरने का तीसरा दिन है। सामने तिरंगा लहरा रहा है। तिरंगे को देखकर एक रोमांच होता हैं, ताकत और साहस मिलता हैं। संकल्प लिया हैं, दिल्ली को धोखा देकर अपनी जिम्मेदारियों से भागने वाले मुख्यमंत्री को काम पर लौटने पर मजबूर कर देंगे। आम आदमी पार्टी के बागी विधायक कपिल मिश्रा भी भाजपा विधायकों के साथ धरने पर हैं। गुरुवार को दिल्ली सचिवालय में भाजपा विधायकों ने 40 फीट लंबा बैनर लहराया। बैनर में लिखा था कि दिल्ली सचिवालय में कोई हड़ताल नहीं है, दिल्ली के सीएम छुट्टी पर हैं।
वहीं धरने पर बैठे भाजपा विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने ट्वीट कर कहा है कि मैं दिल्ली की जनता को पानी दिलाने के लिए धरने पर बैठा हूं। अरविंद केजरीवाल इस धरने से डरे हुए हैं। कभी इमरान हुसैन से झूठी शिकायत दिलवाते हैं कभी विशेषाधिकार नोटिस, चाहे तुम जेल भिजवा दो पर जब तक लोगों को पानी नहीं मिलेगा मैं इस धरने से नहीं उठूंगा।
क्या है वजह?
केजरीवाल पिछले चार महीने से सरकार के कामकाज का बहिष्कार करनेवाले अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। साथ ही दिल्ली सरकार की डोर टू डोर राशन योजना को मंजूरी देने की बात कह रहे हैं। उपराज्यपाल ने मांगों को मानने से मना कर दिया है जबकि केजरीवाल का कहना है कि मांगे पूरी होने तक वह डटे रहेंगे। उनका कहना है कि अफसरों की हड़ताल के कारण दिल्ली के लोगों के कामों पर असर पड़ रहा है। उपराज्यपाल ने जहां अफसरों में अविश्वास और डर का माहौल होने की बात कही है तो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे उपराज्यपाल द्वारा प्रायोजित हड़ताल करार दिया है।
ये हैं तीन मांगें
#उपराज्यपाल स्वयं आईएएस अधिकारियों की गैरकानूनी हड़ताल फौरन खत्म कराएं, क्योंकि वो सेवा विभाग के प्रमुख हैं।
#काम रोकने वाले आईएएस अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करें।
#राशन की डोर-स्टेप-डिलीवरी की योजना को मंजूर करें।
क्या कह रहे हैं उपराज्यपाल?
इधर, उपराज्यपाल निवास की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में किसी भी तरह के हड़ताल का खंडन किया गया है। राज्यपाल दफ्तर की ओर से कहा गया है कि अफसरों में डर और अविश्वास का माहौल है, जिसे सीएम ही दूर कर सकते हैं। जहां तक डोर स्टेर राशन डिलीवरी की फाइल की बात है तो वह खाद्य मंत्री इमरान हुसैन के पास ही है। उसके लिए केंद्र की मंजूरी जरूरी है जिसके लिए दिल्ली सरकार को ही कदम उठाने हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारी बाकायदा दिल्ली सरकार की बैठकों में भाग ले रहे हैं और विरोध के बावजूद अपना काम कुशल तरीके से कर रहे हैं। सरकार की ओर से अफसरों के साथ सकारात्मक बातचीत की कोशिश तक नहीं हुई। आज भी तीन आईएएस अफसरों को विधानसभा से राहत के लिए कोर्ट जाना पड़ा।
क्या है कथित हड़ताल की वजह?
मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर कथित मारपीट के बाद आईएएस पिछले करीब चार माह से कथित तौर पर हड़ताल पर हैं।