मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में मेधावी छात्र प्रोत्साहन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि, “खेती में अब इतना मुनाफा नहीं है। खेती बंट-बंटकर घट गयी है। अब वो जनसंख्या का बोझ नहीं सह सकती है।”
सीएम ने कहा कि, “खेती का काम जो कर रहे हैं, वे करें, उनकी मैं हर संभव मदद करूँगा। बच्चों मेरी इच्छा है कि आपमें से कुछ लोग उद्योगों की तरफ आए और टाटा, बिड़ला और अंबानी जैसे उद्यमी बने।”
यह पहला मौका है, जब सीएम ने इस तरह की बात सार्वजनिक मंच पर छात्रों के सामने कही हो। वैसे चौहान अपने हर भाषण में प्रदेश को लगातार पांच वर्षों से प्रदेश को मिल रहे कृषि कर्मण अवार्ड की बात का जिक्र करने में कभी कभार ही चूकते हैं।
सीएम अकसर कहते है कि उनकी सरकार फसल बर्बादी के लिए तकरीबन साढ़े तीन हजार करोड़ रुपये का मुआवजा बांट चुकी है। जब किसान आत्महत्याओं के मामलों में तीसरे पायदान पर पहुंचने में विधानसभा में प्रश्न किया जाता है, तो विधानसभा में यह बताया जाता है कि किसान कर्ज के कारण नहीं, बल्कि प्रेम संबंधों के कारण आत्महत्या कर रहे हैं।
समय रहते प्रदेश के किसानों के गुस्से को भाप पाने में असमर्थ रही और किसानों की आत्महत्याओं को रोक पाने मे विफल हो रही मध्य प्रदेश सरकार ने शायद मजबूरी में अपने सुर बदल दिये हैं. यही कारण है की किसान हितेषी और खेती को फायदे का धंधा बनाने के मंत्र जपने वाली मध्य प्रदेश सरकार अब मानने लगी है कि अब खेती में इतना मुनाफा नहीं है।
उधर शिवराज के इस बयान पर चौतरफा तीखी प्रतिक्रिया आ रही है. भारतीय किसान मज़दूर संघ के अध्यक्ष शिव कुमार शर्मा का कहना है कि मुख्यमंत्री को यह बात समझने में लगभग 12 साल लग गए.
भारतीय किसान मज़दूर संघ के अध्यक्ष शिव कुमार शर्मा ने कहा कि, “किसान की इस स्थिति के लिए सरकार ही जिम्मेदार है. अगर सरकार ने किसानों की समस्याओं का समय रहते संज्ञान लिया होता तो ऐसी स्थिति कभी उत्पन नहीं होती. किसान हताश हो कर कभी खुकुशी नहीं करता।”
वहीं भारतीय किसान संघ के क्षेत्रीय संगठन मंत्री शिवकांत दीक्षित ने कहा कि वे इस बारे में मुख्यमंत्री से बातचीत करेंगे. इस बीच प्रदेश में कर्ज से परेशान किसानों की आत्महत्या का सिलसिला थम नहीं रहा है. कर्ज से परेशान 4 किसानों ने 48 घंटों में अपनी जान दे दी. विदिशा, धार, बड़वानी और मंदसौर जिले में चार किसानों ने आत्महत्या की. पिछले 72 घंटों में लगभग आठ किसान जान दे चुके हैं।