पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चुनावी समीकरण के हिसाब से मुस्लिम वोट पार्टियों के लिए काफी अहम हैं। इसी लिहाज से सपा-बसपा-रालोद गठबंधन में इस बात का ध्यान दिया गया है। वहीं, कांग्रेस ने भी पश्चिमी यूपी में चार मुस्लिम चेहरों पर दांव लगाया है। सहारनपुर, अमरोहा, मुरादाबाद और बिजनौर में मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारकर कांग्रेस ने गठबंधन को एक तरह से चुनौती दी है।
मुरादाबाद में शायर इमरान प्रतापगढ़ी
मुरादाबाद सीट पर अब तक हुए 17 चुनावों में से 11 बार मुस्लिम प्रत्याशियों ने यहां से बाजी मारी है। ऐसे में तय है कि मुस्लिम ही अमूमन यहां जीत और हार तय करते हैं। मुरादाबाद सीट पर कांग्रेस ने पहले राज बब्बर को मैदान में उतारा था, लेकिन हार की आशंका में राज बब्बर मुरादाबाद छोड़कर फतेहपुर सीकरी चुनाव लड़ने चले गए। इसके बाद कांग्रेस ने शायर इमरान प्रतापगढ़ी को चुनावी जंग में उतार दिया। गठबंधन में यह सीट समाजवादी पार्टी के खाते में गई है, लेकिन अभी तक प्रत्याशी का नाम फाइनल नहीं किया गया है। यहां करीब 45 फीसदी मुसलमान हैं। तय है कि इस सीट पर कांग्रेस और गठबंधन के बीच मुस्लिम वोटों के लिए जोरदार जंग होगी। मुरादाबाद में कुल 18,68,715 वोटर हैं, जिसमें से 47.12 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं।
बिजनौर में मायावती के खास रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी
वेस्ट यूपी में बिजनौर की जंग सबसे अधिक रोमांचक होने जा रही है। बीएसपी के गुर्जर नेता मलूक नागर के मुकाबले कांग्रेस ने मायावती के कभी खास रहे नसीमुद्दीन सिद्दीकी को मैदान में उतार दिया है। यहां करीब 5 लाख मुस्लिम मतदाता हैं। नसीमुद्दीन सिद्दीकी के आने से बिजनौर लोकसभा सीट पर समीकरण गड़बड़ा गए हैं। कांग्रेस को उम्मीद है कि नसीमुद्दीन के चुनाव लड़ने से दलित वोटरों का बड़ा तबका भी बीएसपी की बजाय कांग्रेस की तरफ आएगा। बिजनौर में कुल 1651105 वोटर हैं, जिसमें से मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 5 लाख है।
अमरोहा में राशिद अल्वी
गठबंधन की तरफ से कुंवर दानिश अली अमरोहा सीट से मैदान में हैं। वहीं, कांग्रेस ने राशिव अल्वी को उतारकर अली की चुनौती बढ़ा दी है। दोनों नेता क्षेत्र में जाना पहचाना चेहरा हैं। अमरोहा में 16.33 लाख मतदाताओं में सबसे अधिक लगभग 5.5 लाख मुस्लिम हैं। ऐसे में उलटफेर करने की क्षमता रखने वाले सबसे बड़े वर्ग के वोटर को साधने के लिए गठबंधन और कांग्रेस में जंग तय है। ऐसे में इन दोनों की फाइट बीजेपी को भी बड़ा मौका दे सकती है। अमरोहा में 16.33 लाख कुल मतदाता हैं, जिसमें से 5.5 लाख मुस्लिम वोटर्स शामिल हैं।
सहारनपुर से इमरान मसूद
सहारनपुर लोकसभा सीट का मुकाबला दिलचस्प होने जा रहा है। इस सीट पर 39 फीसदी मुस्लिम वोटरों को अपने पाले में करने के लिए कांग्रेस और बीएसपी में जंग तय माना जा रहा है। यहां गठबंधन की तरफ से हाजी फजलुर्रहमान और कांग्रेस की तरफ से इमरान मसूद मैदान में हैं। 2014 में मोदी लहर के बाजवूद इमरान को 34 फीसदी वोट मिले थे। वहीं, फजलुर्रहमान अपनी साफ छवि के कारण समाज में लोकप्रिय हैं। इस सीट पर 17,22,580 कुल मतदाता हैं, जिसमें से 6 लाख के करीब मुस्लिम मतदाता हैं।
कांग्रेस की रणनीति
दरअसल, गठबंधन में शामिल न किए जाने के बाद कांग्रेस सपा-बसपा-रालोद गठबंधन को दिखाना चाहती है कि वह भी मजबूत है। इन सीटों पर उम्मीदवार उतारने के पीछे कांग्रेस की रणनीति महज गठबंधन को सबक सिखाना ही नहीं है, वह यहां से जीतना भी चाहती है। इसकी एक वजह ये भी है कि कांग्रेस की तरफ से मजबूत मुस्लिम उम्मीदवार सामने होने पर गठबंधन की तुलना में मुस्लिम समाज के लोग कांग्रेस उम्मीदवार के साथ जाना पसंद करेंगे। आशंका के पीछे वजह अतीत में मायावती का बीजेपी के साथ मिलकर यूपी में सरकार बनाना भी है।