मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने कहा है कि केंद्र सरकार ने कश्मीर में स्थिति सामान्य होने के गलत दावे किए हैं। जबकि वहां स्थिति इसके उलट है। घाटी में संचार माध्यमों पर अभी भी प्रतिबंध हैं। सड़कें सूनी हैं और स्कूल, कॉलेज, शिक्षण संस्थान, दुकानें वगैरह दो महीनों से बंद हैं।
तरीगामी को भी नहीं दी गई इजाजत
माकपा ने एक बयान जारी करके कहा है कि केंद्र सरकार और भाजपा जम्मू कश्मीर में हालात सामान्य होने के दावे कर रही है। जबकि पिछले दो अक्टूबर को दिल्ली मे हुई केंद्रीय समिति की बैठक में हिस्सा लेने के लिए केंद्रीय समिति के सदस्य मोहम्मद यूसुफ तरीगामी को कश्मीर से निकलने की अनुमति नहीं दी गई। जबकि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया था कि उन्हें हिरासत में नहीं लिया गया है।
बीडीसी चुनाव दुनिया को हालात सामान्य दिखाने के लिए
माकपा ने अपने बयान में कहा है कि दो महीने पहले अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से जम्मू कश्मीर में हालात कतई नहीं बदले हैं। आम लोगों को इसके कारण भारी दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं। कश्मीर में ब्लॉक डवलपमेंट काउंसिल (बीडीसी) के चुनाव की घोषणा पर माकपा ने कहा कि यह लोकतंत्र के साथ भद्दा मजाक है। दुनिया को हालात सामान्य दिखाने के लिए यह घोषणा की गई है। बीडीसी चुनाव में पंच और सरपंच वोट डालते हैं। जबकि राज्य में पंच और सरपंचों के 61 फीसदी पद खाली पड़े हैं।
प्रतिबंध हटाने और नेताओं को रिहा करने की मांग
माकपा ने सरकार से मांग की है कि राज्य में संचार माध्यमों, नागरिक आजादी पर प्रतिबंध हटाए जाएं और सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को तत्काल रिहा किया जाए। चुनाव तभी हो सकते हैं जब राजनीतिक गतिविधियां सामान्य हो जाएं।
एनआरसी से नागरिकों को बाहर नहीं किया जा सकता
नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (एनआरसी) के मुद्दे पर बयान में कहा गया है कि भाजपा शासित कई राज्यों के मुख्यमंत्री एनआरसी लागू करने की मांग कर रहे हैं जबकि असम में एनआरसी एक समझौते के तहत और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लागू किया गया था। यह व्यवस्था एक राज्य विशेष में ही लागू की जानी है। माकपा ने 20 लाख लोगों के एनआरसी से बाहर रहने पर भी चिंता जताई है। पार्टी ने जोर देकर कहा कि किसी भी भारतीय नागरिक को बाहर नहीं रखा जा सकता है।
बेरोजगारों को भत्ता देने की मांग
आर्थिक संकट पर माकपा ने कहा कि आर्थिक विकास दर धीमी पड़ने के कारण बड़े पैमाने पर बेरोजगारी, कर्मचारियों की छंटनी और कृषि क्षेत्र के संकट से आम लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। पार्टी ने मांग की है कि रोजगार पैदा करने के लिए सार्वजनिक व्यय बढ़ाया जाए और बेरोजगार युवाओं को भत्ता दिया जाए। कर्मचारियों को 21000 रुपये न्यूनतम वेतन मिलना सुनिश्चित किया जाए।