महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर जारी तनाव के बाद अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिवसेना के बीच सब कुछ ठीक होता दिख रहा था। भाजपा विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद देवेंद्र फडणवीस ने विधानसभा चुनाव में मिली जीत के लिए शिवसेना और उद्धव ठाकरे का भी शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर यह जनादेश महायुति (बीजेपी और शिवसेना गठबंधन) के लिए है क्योंकि हमने महायुति के लिए ही वोट मांगे थे। उन्होंने कहा कि जनता ने इसके लिए ही वोट दिया और ऐसे में किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए। राज्य में महायुति सरकार ही बनेगी।
उन्होंने कहा, 'हम जल्द ही सरकार बनाएंगे। परेशान मत होइए, हम एक स्थिर सरकार देंगे।' फडणवीस के इस बयान के बाद अब माना जा रहा है कि सरकार बनाने को लेकर जारी अनिश्चितता के बादल छंट सकते हैं। बुधवार को एक ओर जहां निवर्तमान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बीजेपी विधायक दल का नेता चुन लिया गया है, वहीं शिवसेना नेता संजय राउत पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से मिलने उनके आवास 'मातोश्री' पहुंचे हैं। यहां सरकार गठन को लेकर मंथन जारी है। शिवसेना ने गुरुवार को अपने विधायक दल की बैठक बुलाई है।
पहले रद्द हो गई थी बैठक
फडणवीस ने पार्टी विधायकों को, उन पर विश्वास करने और उन्हें राज्य की सेवा करने का एक और मौका देने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को भी धन्यवाद दिया। वर्तमान में सदन के नेता देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को कहा था कि वह अगले पांच वर्षों के लिए मुख्यमंत्री बने रहेंगे। उनके इस बयान के बाद शिवसेना ने बीजेपी के साथ होने वाली बैठक रद्द कर दी थी। पार्टी का कहना है कि वह अब केवल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से ही बात करेगी जब वह उद्धव ठाकरे के आवास 'मातोश्री' आएंगे। बीजेपी से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि शाह एक या दो नवंबर को मुंबई आ सकते हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि वह उद्धव ठाकरे से मिलने उनके घर जाएंगे कि नहीं। बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पार्टी के उपाध्यक्ष अविनाश राय खन्ना को महाराष्ट्र विधायक दल की बैठक के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक नामित किया था।ट
सीटों की स्थिति
गौरतलब है कि बीजेपी ने 150 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें से उसे 105 पर सफलता मिली। जबकि शिवसेना ने 124 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे पर जीत सिर्फ 56 सीटों पर ही मिली। 2014 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 122 सीटें मिली थी जबकि शिवसेना ने 63 सीटों पर परचम लहराया था। पिछली बार बीजेपी और शिवसेना ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था इन्हीं सब के चलते शिवसेना नतीजों के दिन से ही 50-50 के फॉर्मूले को लागू करने पर अड़ी थी। पार्टी की मांग थी कि ढाई-ढाई साल के लिए शिवसेना और बीजेपी का मुख्यमंत्री नियुक्त किया जाए।