राफेल सौदे को लेकर रिलायंस के अनिल अंबानी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। फ्रांस के एक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, राफेल सौदे के बाद छह महीने में फ्रांस ने अनिल अंबानी की फ्रांस स्थित कंपनी का लगभग 1,200 करोड़ रुपए (143.7 मिलियन यूरो) का टैक्स माफ किया था। अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस भारत के राफेल सौदे में ऑफसेट पार्टनर है। राफेल सौदे की घोषणा अप्रैल, 2015 में की गई थी।
फ्रेंच अखबार 'ला मोंडे' ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है, ‘’फरवरी से अक्टूबर 2015 के बीच, जब फ्रांस भारत के साथ राफेल सौदे पर मोल-भाव कर रहा था, तब अनिल अंबानी फ्रांस की तरफ से 143.7 मिलियन यूरो की टैक्स छूट का लुत्फ उठा रहे थे।‘’
'रिलायंस ने दिया था समझौते का ऑफर'
रिपोर्ट में कहा गया है कि अनिल अंबानी की टेलीकॉम कंपनी फ्रांस में 'रिलायंस अटलांटिक फ्लैग फ्रांस' के नाम से रजिस्टर्ड है। ला मोंडे के साउथ एशियन संवाददाता जूलियन बूसो ने ट्वीट किया, ‘’इस कंपनी की जांच फ्रांस के टैक्स अधिकारियों ने की और 2007 से 2010 के बीच इस पर 60 मिलियन यूरो टैक्स की देनदारी पायी गई। रिलायंस ने समझौते के लिए 7.6 मिलियन यूरो का ऑफर दिया। फ्रांस के टैक्स अधिकारियों ने मना कर दिया। उन्होंने 2010 से 2012 के लिए एक और जांच की और 91 मिलियन यूरो का अतिरिक्त टैक्स भरने को कहा।‘’
सौदे के छह महीने बाद रिलायंस का टैक्स माफ
अप्रैल, 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दासौ (फ्रांस की कंपनी) से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने की घोषणा करने तक अनिल अंबानी को फ्रांस सरकार को 151 मिलियन यूरो चुकाने थे। फिर छह महीने बाद अक्टूबर, 2015 में फ्रेंच अधिकारियों ने रिलायंस से समझौते के तहत 151 मिलियन यूरो की जगह केवल 7.3 मिलियन यूरो स्वीकार कर लिए।
रिलायंस ने कहा- कानूनी दायरे में निपटाए टैक्स विवाद
वहीं, दूसरी तरफ रिलायंस ने इस रिपोर्ट पर सफाई दी है। रिलायंस ने कहा है कि रिलायंस फ्लैग अटलांटिक फ्रांस रिलायंस कम्युनिकेशन की सहायक कंपनी है। टैक्स का यह मामला 10 साल पुराना है और टैक्स की मांग पूरी तरह बेतुकी थी। रिलायंस ने कहा कि किसी भी तरह का पक्षपात या लाभ नहीं उठाया गया। कंपनी का कहना है कि रिलायंस फ्लैग ने टैक्स संबंधी विवाद फ्रांस के कानूनी दायरे में निपटाए हैं, जो कि फ्रांस की हर कंपनी के लिए मौजूद हैं।
बढ़ सकता है विवाद
फरवरी में भारत की मीडिया के रिपोर्ट के मुताबिक, राफेल सौदे की घोषणा से करीब 15 दिन पहले अनिल अंबानी ने मार्च 2015 में पेरिस में फ्रांस के रक्षा मंत्री के कार्यालय गए थे।
फ्रांसीसी अखबार की इस रिपोर्ट के बाद बहुत से सवाल खड़े होते हैं। इसके बाद एक बार फिर राफेल को लेकर सियासत नया मोड़ ले सकती है और चुनावी माहौल में विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर हो सकता है।