कांग्रेस ने छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दर में कटौती के फैसले पर सवाल खड़े किए हैं। पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बुधवार को कहा कि ब्याज में कटौती तकनीकी तौर पर सही हो सकता है लेकिन यह बिलकुल गलत समय लिया गया फैसला है। उन्होंने इस फैसले को वापस लिए जाने की मांग की है।
चिदंबरम ने कहा, 'इस मुश्किल घड़ी और अनिश्चितता के दौर मे लोग अपनी बचत पर ब्याज से होने वाली आय पर निर्भर होते हैं। सरकार को इस फैसले पर तत्काल पुनर्विचार करना चाहिए और पहले की ब्याज दर को 30 जून तक बहाल करना चाहिए।' पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि मुझे पता है कि कभी-कभी सरकार बेवकूफ सलाह पर काम करती है, लेकिन मैं हैरान हूं कि यह सलाह कितनी बेवकूफी वाली थी। यह फैसला गलत समय पर लिया गया है।
'हमारा जोर जिंदगियां बचाने पर होना चाहिए'
हालांकि उन्होंने कहा है कि पिछली तिमाही में भारत की जीडीपी 4 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता है लेकिन इस समय हमारा जोर लोगों की जिंदगियां बचाने पर होना चाहिए न कि हमें विकास दर को लेकर चिंता नहीं करनी चाहिए। चिदंबरम ने पिछले दिनों घोषित वित्तीय पैकेज का उल्लेख करते हुए कहा, 'मैं इस बात से चिंतित हूं कि सरकार ने 25 मार्च को बहुत ही कम वित्तीय पैकेज की घोषणा के बाद अब तक वित्तीय सहायता पैकेज का ऐलान नहीं किया।'
देश संकट से गुजर रहा हैः जयवीर शेरगिल
वहीं, पार्टी प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने कहा कि भाजपा सरकार को ''मुनाफा मेरा और नुकसान तेरा'' नीति त्याग देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश संकट से गुजर रहा है। आज जब देशवासी कोरोना, आर्थिक मंदी, महंगाई की मार झेल रहा है, तो उसे केंद्र सरकार से राहत की उम्मीद थी। लेकिन केंद्र सरकार ने छोटी बचत पर ब्याज दर में कटौती कर दी। 'इससे पहले मार्च के महीने में स्टेट बैंक ने बचत खातों पर ब्याज में कमी कर दी थी। एफडी का ब्याज भी कम कर दिया गया। इससे लोगों को 7000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। उन्होंने मांग की कि ब्याज दरों में कटौती को वापस ली जाए और अगले तीन महीने के लिए ईएमआई पर ब्याज माफ किया जाए।
बता दें कि मंगलवार को सरकार ने राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र और पीपीएफ समेत लघु बचत योजनाओं पर ब्याज दरें 2020-21 की पहली तिमाही के लिए 1.4 प्रतिशत तक घटा दीं।