आयकर विभाग ने हैदराबाद की एक कंपनी से कथित तौर पर 170 करोड़ रुपये प्राप्त करने के बारे में कांग्रेस से जवाब मांगा है। इसके लिए विभाग ने पार्टी को नोटिस जारी किया है। 3000 करोड़ रुपये के हवाला रैकेट केस में कर चोरी की जांच के दौरान यह तथ्य सामने आने पर विभाग ने कांग्रेस से जवाब तलब किया है।
कांग्रेस को पैसा मिलने की बात छापों से उजागर
अधिकारियों ने बताया कि इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के प्रमुख कॉरपोरेट घरानों पर पिछले महीने दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद में छापों की कार्रवाई के दौरान यह तथ्य सामने आया था। मामले की आगे जांच करने के लिए पार्टी को नोटिस भेजा गया है।
हैदराबाद की मेघा इन्फ्रा ने भेजा था पैसा
अधिकारियों के अनुसार कांग्रेस को ये फंड हैदराबाद की मेघा इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड इंजीनियरिंग द्वारा भेजा गए थे। कांग्रेस के कुछ पदाधिकारियों और आंध्र प्रदेश के एक राजनीतिक दल की भी अधिकारी इस केस के संबंध में जांच कर रहे हैं।
देश में 42 ठिकानों पर छापे मारे गए
सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) ने बयान जारी करके बताया था कि कर चोरी की बड़ी सांठगांठ को उजागर करने के लिए छापे मारे गए हैं। ये छापे इस महीने के पहले हप्ते में मारे गए थे। फर्जी बिल जारी रने और हवाला लेनदेन करने के लिए कुछ लोगों के एक समूह पर छापे दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, इरोड, पुणे, आगरा और गोवा में 42 स्थानों पर मारे गए।
कुल 3300 करोड़ रुपये की हेराफेरी
सीबीडीटी ने कहा कि बड़ी कंपनियों के बच सांठगांठ, हवाला ऑपरेटरों और समूची चेन की पहचान और फर्जी समझौते करके करीब 3300 करोड़ रुपये की हेराफेरी करने पकड़ने और इन आपराधिक कृत्यों के सबूत जुटाने के लिहाज से छापे पूरी तरह सफल रहे। इन छापो से इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की बड़ी कंपनियों द्वारा फर्जी बिल और समझौतों के माध्यम से नकदी पैदा किए जाने के बड़े रैकेट का भंडाफोड़ हुआ।
दक्षिण की परियोजनाओं और गरीबों की योजनाओं में गड़बड़ी
सीबीडीटी ने कहा कि सार्वजनिक इन्फ्रा परियोजनाओं का पैसा एंट्री ऑपरेटर, लॉबिस्ट और हवाला डीलरों के जरिये निकाल लिया गया। पैसा निकालने में संलिप्त अधिकांश कंपनियां दिल्ली एनसीआर और मुंबई हैं। फर्जी बिलिंग में जो परियोजनाएं संलिप्त पाई गई हैं, वे दक्षिण भारत में प्रमुख इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से जुड़ी परियोजनाएं शामिल हैं।