यूपी के कैराना लोकसभा उपचुनाव के लिए 28 मई को वोट डाले जाएंगे। यहां भाजपा के लिए पांच मंत्री, डिप्टी सीएम और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रचार कर रहे हैं तो विपक्ष के महागठबंधन ने भी भाजपा को चारों ओर से घेर रखा है। राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) उम्मीदवार तबस्सुम हसन को एसपी, बीएसपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का समर्थन हासिल है। गुरुवार को निर्दलीय प्रत्याशी कंवर हसन ने महागठबंधन प्रत्याशी और अपने भाई की पत्नी तबस्सुम हसन को समर्थन देने के घोषणा की है। इसे विपक्ष की बड़ी कामयाबी माना जा रहा है।
गुरुवार को रालोद के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी कैराना लोकसभा उपचुनाव में लोकदल प्रत्याशी कंवर हसन के आवास पर पहुंचे और उन्हें रालोद प्रत्याशी तबस्सुम हसन के पक्ष में अपनी उम्मीदवारी वापस लेने के लिए मनाया। जयंत चौधरी ने कंवर हसन को रालोद की सदस्यता भी ग्रहण कराई। जयंत चौधरी की मौजूदगी में कंवर हसन के बड़े भाई नगर पालिका चेयरमैन हाजी अनवर हसन ने भी रालोद का दामन थाम लिया।
भाजपा ने कैराना में जीत के लिए पूरी फौज उतार रखी है। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और प्रदेश अध्यक्ष यहां कई बार दौरा कर चुके हैं। संगठन महामंत्री सुनील बंसल पांच दिन तक एक-एक सेक्टर की मीटिंग लेकर जीत की रणनीति बताकर गए हैं। केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह के अलावा दस से ज्यादा यूपी के मंत्री, सात सांसद और 19 विधायकों के साथ ही संगठन के पदाधिकारियों की एक बड़ी टीम यहां डेरा डाले हुए है। सीएम योगी आदित्यनाथ भी तीन दिन में दो सभाएं कर चुके हैं। भाजपा की तमाम कोशिशों पर विपक्ष की रणनीति लगाकार भारी साबित हो रही है। विपक्ष की प्रत्याशी की जितनी कमजोर कड़ियों को गैर-भाजपा दलों ने एक-एक कर दूर कर दिया।
कैराना सीट भाजपा सांसद हुकुम सिंह के निधन से खाली हुई थी। साल 2014 में हुकुम सिंह करीब ढाई लाख वोटों से जीते थे। गोरखपुर और फूलपुर सीटों पर हार के बाद भाजपा के लिए कैराना सीट साख का सवाल बनी हुई है। कैराना से भाजपा की उम्मीदवार हुकुम सिंह की बेटी मृगांका सिंह हैं। कंवर हसन के समर्थन के बाद भाजपा प्रत्याशी मृगांका सिंह की मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं क्योंकि जिन वोटों का बंटवारा भाभी और देवर को लेकर हो रहा था, अब वह एक ही प्लेटफॉर्म पर आता नजर आ रहा है।