त्रिपुरा में भारी जीत से उत्साहित बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है। असल में उसके सहयोगी दल IPFT ने राज्य में आदिवासी मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर दी है। जबकि भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बिप्लब देब का नाम सीएम की रेस में आगे चल रहा है।
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, इंडिजिनस पीपल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (IPFT) के अध्यक्ष एन.सी. देबबर्मा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राज्य में आदिवासी सीएम बनाने की वकालत की है। उन्होंने कहा कि आदिवासी विधायकों के बीच से मुख्यमंत्री चुना जाना चाहिए।
60 सीटों वाली त्रिपुरा विधानसभा में जनजातीय दल ने नौ सीटों में से आठ सीटें जीती हैं। जबकि भाजपा ने 35 सीटों पर जीत हासिल की है।
देवबर्मा ने कहा, "हम नए मंत्रिमंडल में आईपीएफटी विधायकों के सम्माननीय प्रतिनिधित्व की मांग करते हैं," हालांकि, उन्होंने "सम्मानजनक स्थिति" का मतलब क्या स्पष्ट नहीं किया।
उन्होंने कहा, "हमें लगता है कि यदि एक स्थानीय विधायक को मुख्यमंत्री बनाया गया तो यह स्थानीय लोगों के साथ न्याय होगा। यह पूर्वोत्तर की परंपरा भी है।"
बीजेपी-आईपीएफटी ने 18 फरवरी के चुनावों में अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित 20 सीटों में से 17 जीतीं हैं।
पूछे जाने पर कि क्या होगा अगर मुख्यमंत्री आदिवासी विधायकों में से नहीं चुना गया तो के जवाब में उन्होंने कहा, "मैंने परंपरा के बारे में ही कहा था। कोई दबाव नहीं है।"