उसका आरोप है कि बसपा से टिकट देने के बदले मायावती ने 43 लाख रुपये लिए थे। लेकिन, न तो टिकट दी और न ही रुपये वापस किए हैं। डकैती, हत्या जैसे कई संगीन अपराधों के मामले में जेल में बंद सीपरी बाजार के गांव लकारा निवासी सरदार सिंह गुर्जर ने वकील द्वारा दी याचिका में कहा कि वह बसपा का 2001 से सदस्य हैं।
17 अक्तूबर 2006 में मायावती सिविल लाइन में एक कार्यकर्ता के यहां आई थीं, जिसमें गरौठा-समथर विधानसभा क्षेत्र का प्रत्याशी तय करने के लिए कार्यकर्ताओं को बुलाया था। कार्यकर्ताओं के सामने उसे विधायक का चुनाव लड़ने के लिए कहा गया था। तब मायावती ने टिकट के एवज में पार्टी फंड के लिए 50 लाख रुपये की मांग की। उसने खेती की फसल बेचकर और दोस्तों व रिश्तेदारों से रुपये इकट्ठे किए और मायावती को 43 लाख रुपये दिए थे। रुपये मिलने के बाद उससे क्षेत्र में जाकर चुनाव की तैयारी करने को कहा गया था। वह क्षेत्र में लगातार जनसंपर्क करता रहा।
पोस्टर और बैनर लगवाए, जिसमें आठ लाख रुपये खर्च हो गए। लेकिन, उसे टिकट नहीं दिया गया। जब उसने मायावती से रुपये वापस मांगे तो आश्वासन दिया गया कि अगले चुनाव में टिकट दिया जाएगा। 12 दिसंबर 2012 को पुन: टिकट मांगा तो मायावती ने टिकट देने और रुपये वापस करने से मना कर दिया।