भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने 'बैट' मामले पर अपने बेटे और भाजपा विधायक आकाश विजयवर्गीय को कच्चा खिलाड़ी बताया है। उन्होंने कहा है कि ये बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। मुझे लगता है कि दोनों पक्ष आकाश और नगर निगम अधिकारी कच्चे खिलाड़ी हैं। ये बड़ा मुद्दा नहीं था लेकिन इसे बड़ा बना दिया गया।
विजयवर्गीय ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि अधिकारी को अहंकारी होना चाहिए। उन्हें लोगों के प्रतिनिधियों से बात करनी चाहिए। मैंने इस चीज की कमी देखी है। दोनों को समझना चाहिए, ताकि ऐसी घटना दोबारा ना हो। मैं पार्षद, मेयर और विभागीय मंत्री रह चुका हूं।
बिल्डिंग गिराए जाने से पहले की जाती है लोगों के रहने की व्यवस्था
इंदौर नगर निगम पर निशाना साधते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि अगर कोई बिल्डिंग गिराई गई, तो उसके निवासियों के लिए एक 'धर्मशाला' में रहने की व्यवस्था की जाती है। नगर निगम ने इस मामलों को ठीक से नहीं सम्भाला। मौके पर महिला स्टाफ और महिला पुलिस होनी चाहिए थी। यह अपरिपक्व कदम था। ऐसा दोबारा नहीं होना चाहिए।
‘हम बारिश के दौरान किसी भी आवासीय भवन को ध्वस्त नहीं करते’
विजयवर्गीय ने आगे कहा कि हम बारिश के दौरान किसी भी आवासीय भवन को ध्वस्त नहीं करते हैं। मुझे नहीं पता कि सरकार की ओर से ऐसा कोई आदेश जारी किया गया है। अगर किया गया है तो यह उनकी ओर से गलती है।
जानें क्या है पूरा मामला
इंदौर-3 विधानसभा सीट से पहली बार विधायक चुने गए आकाश विजयवर्गीय ने जर्जर मकान को ढहाने पहुंचे निगम अधिकारी की बल्ले से पिटाई कर दी थी। उनकी निगम कर्मचारी से पहले बहस हुई थी। अपने कृत्य को लेकर उन्होंने सफाई देते हुए कहा था कि- पहले आवेदन, फिर निवेदन और फिर दे दनादन के तहत कार्रवाई की जाएगी।
गुरुवार को विधायक आकाश की जमानत अर्जी को अदालत ने खारिज कर दिया था। दूसरी जमानत अर्जी को भी एडीजे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। जिसके बाद भोपाल के जिला एवं सत्र न्यायालय में जमानत अर्जी दायर की गई थी।
जानकारी के अनुसार, यदि आकाश के खिलाफ जिन धाराओं में केस दर्ज हुआ है, वह ट्रायल के दौरान साबित हो जाती हैं तो वह चुनाव लड़ने के अयोग्य हो सकते हैं। यह समय सीमा सजा सुनाने की तिथि से छह साल तक प्रभावी होगी।
आकाश के खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा पहुंचाने, मारपीट और बलवा के आरोप में मुकदमा दर्ज हुआ है। इनमें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 147 और 148 के तहत कम से कम दो साल और अधिकतम सात साल की सजा हो सकती है। केस में फैसला आने के समय अगर आकाश विधायक पद पर बने रहते हैं तो सजा को तीन महीने तक टाल दिया जाएगा। इस दौरान वह नए सिरे से आवेदन कर सकते हैं।