कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) मामले में हाई कोर्ट का रुख करेंगे। कांग्रेस पार्टी ने विपक्षी भाजपा के खिलाफ अपना अभियान तेज कर दिया है और उस पर राजनीतिक प्रतिशोध लेने के लिए राज्यपाल के कार्यालय का उपयोग करने का आरोप लगाया है।
विपक्षी दलों का सिद्धारमैया पर घोटाले का आरोप है। विपक्ष का कहना है कि सीएम की पत्नी को मुआवजा देने के लिए महंगे इलाके में जगह आवंटित की गई थी। आरोपों के जवाब में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि यह आवंटन 2021 में भाजपा के कार्यकाल के दौरान ही किया गया था।
राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने बीते दिनों मूडा (मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण) के कथित भूमि घोटाले में मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए कैबिनेट की राय मांगी थी। जिसके बाद गुरुवार को मंत्रिपरिषद की बैठक हुई, जिसमें राज्यपाल को कारण बताओ नोटिस वापस लेने की सलाह दी गई। साथ ही मंत्रिपरिषद ने इसे बहुमत से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने की कोशिश करार दिया।
बता दें कि मुडा कर्नाटक की एक राज्य स्तरीय विकास एजेंसी है, जिसका गठन मई 1988 में किया गया था। मुडा का काम शहरी विकास को बढ़ावा देना, गुणवत्तापूर्ण शहरी बुनियादी ढांचे को उपलब्ध कराना, किफायती आवास उपलब्ध कराना, आवास आदि का निर्माण करना है।
इस मामले में राज्यपाल ने कानूनी विशेषज्ञों से इस संबंध में राय ली। जिसके बाद राज्यपाल ने मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी दी। इस मामले में शिकायतकर्ताओं ने मुडा मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17 और 19 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के तहत मुख्यमंत्री के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी मांगी थी। भ्रष्टाचार विरोधी कार्यकर्ता टीजे अब्राहम समेत कई अन्य शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि मुडा घोटाले में अवैध आवंटन से राज्य के खजान को 45 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। शिकायत में सीएम सिद्धारमैया, उनकी पत्नी, बेटे और मुडा के आयुक्त के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की गई थी।