राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि पिछले पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने और विभाजन करने के केंद्र सरकार के फैसले के बाद से वहां हालात अभी भी चिंताजनक बने हुए हैं। राज्य में आर्थिक गतिविधियां भी प्रभावित हो रही हैं।
राज्य की अर्थव्यवस्था पटरी से उतरी
राज्य का एक सप्ताह का दौरा करके लौटे आजाद ने दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद से जम्मू कश्मीर में भय का माहौल अभी भी बना है। केंद्र सरकार स्थानीय प्रशासन को धमका रही है। जम्म और कश्मीर दोनों ही क्षेत्रों में कारोबार दो महीने बाद भी ठप है। इससे राज्य की अर्थव्यवस्था पटरी से उतर चुकी है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि कश्मीर में हर चीज जम्मू से पहुंचती है। इसलिए कश्मीर के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के दुकानदार सप्लाई के लिए पूरी तरह जम्मू पर निर्भर हैं। दोनों क्षेत्रों में बंद के कारण जम्मू में कारोबार शून्य है।
कश्मीर के लोग 50 दिनों से कैद
राज्य का विशेष दर्जा खत्म किए जाने और विभाजित किए जाने के केंद्र सरकार के फैसलों पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि कश्मीर 50 दिनों से ज्यादा समय से कैद है। आजाद ने कहा कि जम्मू कश्मीर में सब कुछ ठीक नहीं है। सत्ताधारी दल के कई नेता राष्ट्रीय नेताओं के भय से बोल नहीं रहे हैं।
बीडीसी चुनाव भद्दा मजाक
ब्लॉक डवलपमेंट काउंसिल (बीडीसी) के घोषित चुनाव पर उन्होंने प्रतिक्रिया दी िक यह लोकतंत्र के साथ भद्दा मजाक है। प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के नेता या तो जेल में बंद हैं या फिर घरों में कैद हैं, ऐे में ब्लॉक और जिला स्तर के चुनाव कराए जा रहे हैं।
नेताओं को भाजपा में शामिल करके चुनाव
उन्होंने आरोप लगाया कि इन चुनावों की घोषणा तब की गई है जब पंचायत स्तर के अधिकांश स्थानीय नेताओं को भाजपा में शामिल करा लिया गया है। राज्यपाल शासन के दौर में ये चुनाव नहीं कराए जा सकते हैं। जबकि सरकार ने मुख्य धारा के प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं को या तो जेल में डाल दिया है या फिर घरों में नजरबंद कर दिया है, ऐसे में सरकार ने चुनाव की घोषणा की है।
आजाद ने मांग की है कि नेताओं को तुरंत रिहा किया जाए और चुनाव की अधिसूचना रद्द की जाए। रविवार को मुख्य चुनाव अदिकारी शैलेंद्र कुमार ने ब्लॉक डवलपमेंट काउंसिल के चुनाव 24 अक्टूबर को कराने की घोषणा की थी।