समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक कोविंद अपने परिवार के साथ बीती 28 मई को शिमला घूमने गये थे। इस बीच जब वे एक सामान्य व्यक्ति की तरह, शहर से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित भव्य रिट्रीट बिल्डिंग पहुंचे, जहां वे ठहर सकते थे, तो उन्हें अंदर जाने से मना कर दिया गया। शिमला और आस-पास के अनेक स्थानों को देखने के बाद 71 वर्षीय कोविंद जब हरियाली भरे मसोब्रा पहाड़ी के बीच उच्च सुरक्षा परिक्षेत्र स्थित रिट्रीट बिल्डिंग पहुंचे तो उसके अंदर जाने से रोक दिया गया क्योंकि उनके पास प्रवेश संबंधी अनुमतिपत्र नहीं था।
यह इमारत वायसराय लॉज का एक हिस्सा थी, जो आजादी के बाद राष्ट्रपति भवन के रूप में तब्दील कर दी गई। और बाद में इसे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी (आईआईएएस) को सौंप दी गई।
राष्ट्रपति कम से कम साल में एक बार यहां जरूर आते हैं और उस प्रवास के दौरान उनका कोर ऑफिस वहां स्थापित रहता है।
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत के सलाहकार शशिकांत ने बताया, ‘‘बिहार के राज्यपाल (कोविंद) जब खास तौर से राष्ट्रपति के लिए बनाये गए कल्याणी हेलीपैड पर पहुंचे, तो मैंने उन्हें सलाह दी कि उन्हें शिमला वाटर सप्लाई कैचमेंट एरिया का वनक्षेत्र जरूर देखना चाहिए, जो दुनिया के सर्वाधिक व्यवस्थित वनों में से एक माना जाता है। वह वहां की सुंदर दृश्यावली और हरियाली देख कर मुग्ध थे।’’
कोविंद बिलकुल सामान्य व्यक्ति की तरह रहे। हालांकि वह और उनकी पत्नी एक सरकारी गाड़ी में थे, लेकिन परिवार के बाकी सदस्य एक हायर की हुई टैक्सी में घूम रहे थे।