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जेएनयू में फिर लहराया वाम दलों का परचम, एबीवीपी ने 9 साल बाद रचा इतिहास

जवाहर लाल नेहरू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) चुनाव में वामपंथी उम्मीदवारों ने केंद्रीय पैनल के चार पद में से...
जेएनयू में फिर लहराया वाम दलों का परचम, एबीवीपी ने 9 साल बाद रचा इतिहास

जवाहर लाल नेहरू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) चुनाव में वामपंथी उम्मीदवारों ने केंद्रीय पैनल के चार पद में से तीन पर जीत हासिल कर अपना दबदबा बरकरार रखा, वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने संयुक्त सचिव पद जीता। एबीवीपी ने नौ साल के अंतराल के बाद कोई पद जीता है।

जेएनयूएसयू निर्वाचन आयोग द्वारा रविवार आधी रात के बाद घोषित किए गए परिणाम के अनुसार ‘ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन’ (आइसा) के नीतीश कुमार ने 1,702 वोट हासिल कर अध्यक्ष पद पर जीत हासिल की। ‘डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन’ (डीएसएफ) की मनीषा ने 1,150 वोट हासिल कर उपाध्यक्ष पद जीता, जबकि मुन्तेहा फातिमा ने 1,520 वोट हासिल कर महासचिव पद पर जीत हासिल की। संयुक्त सचिव पद पर एबीवीपी के वैभव मीणा ने 1,518 वोट हासिल कर जीत प्राप्त है।

इस बार के चुनाव में आइसा ने डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (डीएसएफ) के साथ गठबंधन किया था जबकि ‘स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया’ (एसएफआई) और ‘ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन’ (एआईएसएफ) ने ‘बिरसा आंबेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन’(बीएपीएसए) और ‘प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स एसोसिएशन’ (पीएसए) के साथ गठबंधन किया। एबीवीपी ने अकेले चुनाव लड़ा। जेएनयूएसयू चुनाव के लिए 25 अप्रैल को 7,906 पात्र विद्यार्थियों में से 5,500 ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया।

बता दें कि जेएनयू में विश्वविद्यालय के 16 स्कूलों और विभिन्न संयुक्त केंद्रों के कुल 42 काउंसलर पदों और सेंट्रल पैनल के चार प्रमुख पदों अध्यक्ष,उपाध्यक्ष, सचिव, संयुक्त सचिव पर चुनाव में गुरुवार को चुनाव हुए थे, अंतिम नतीजे रविवार देर रात 1.40 बजे आए। ABVP ने 42 काउंसलर पदों में से 24 पदों पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। यह किसी भी अन्य छात्र संगठन की तुलना में सर्वाधिक है।

इतना ही नहीं, सूत्रों की माने तो कैंपस का स्कूल आफ सोशल साइंस, जिसे जेएनयू में वामपंथ का गढ़ माना जाता रहा है, वहां एबीवीपी ने 25 वर्षों बाद दो सीटों पर विजय प्राप्त कर एक ऐतिहासिक बदलाव का संकेत दिया है। इसके अलावा स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज, जो लंबे समय से वामपंथी प्रभाव का प्रमुख केंद्र रहा है, वहां भी एबीवीपी ने दो सीटों पर विजय हासिल की है।

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