मध्यप्रदेश में पिछले महीने कमलनाथ सरकार गिरने और राज्यपाल लालजी टंडन द्वारा फ्लोर टेस्ट का आदेश देने पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को टिप्पणी की। जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि राज्यपाल के पास सरकार को विधानसभा में बहुमत परीक्षण का आदेश देने की शक्ति है। जब सरकार ने बहुमत खो दिया तो यह बहुत जरूरी था। अदालत ने कांग्रेस की ओर से दिए गए उस तर्क को नकार दिया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि राज्यपाल ऐसा आदेश नहीं दे सकते हैं। यानी सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस की याचिका को नकार दिया है। बता दें कि देश में जारी कोरोना वायरस महामारी के संकट से इतर सुप्रीम कोर्ट का कामकाज जारी है। अदालत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपने अहम मामलों को निपटा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि राज्यपाल के मुख्यमंत्री को बहुमत दिखाने के लिए कहने में कोई बाधा नहीं है अगर उनके पास ऐसा करने के लिए अच्छे कारण हैं तो। राज्यपाल इस शक्ति का प्रयोग चल रही विधानसभा में भी कर सकते हैं।
कांग्रेस का तर्क नामंजूर
सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता कमलनाथ और मध्य प्रदेश की कांग्रेस की उस दलील को भी खारिज कर दी जिसमें उनका कहना कि राज्यपाल चल रही विधानसभा में फ्लोर टेस्ट के लिए नहीं कह सकते। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि मध्य प्रदेश में राज्यपाल का फ्लोर टेस्ट का आदेश बिलकुल सही था। कोर्ट ने कांग्रेस की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी के इस तर्क को मंजूर नहीं किया कि राज्यपाल आदेश पारित नहीं कर सकते। कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल स्वयं कोई निर्णय नहीं ले रहे हैं। राज्यपाल एक फ्लोर टेस्ट बुला रहे हैं।
राज्यपाल के अधिकारों को लेकर विस्तृत आदेश जारी
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि राज्यपाल ने तब खुद को निर्णय नहीं लिया, बल्कि सिर्फ फ्लोर टेस्ट कराने को कहा। एक चलती हुई विधानसभा में दो तरह के ही रास्ते बचते हैं, जिसमें फ्लोर टेस्ट और नो कॉन्फिडेंस मोशन ही है। अदालत ने इस दौरान राज्यपाल के अधिकारों को लेकर एक विस्तृत आदेश भी जारी किया।
क्या है मामला
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश के गवर्नर लालजी टंडन ने सियासी उठापटक के बीच विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया था। लेकिन, जब सदन की शुरुआत हुई तो विधानसभा स्पीकर ने सदन को कोरोना वायरस के चलते कुछ दिनों के लिए टाल दिया था। जिसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। तुरंत फ्लोर टेस्ट करवाने को लेकर सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने तब फ्लोर टेस्ट तुरंत करवा दिया था, जिसके बाद कमलनाथ सरकार को इस्तीफा देना पड़ा था। जब सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया तो बहुमत साबित करने से पहले ही कमलनाथ ने अपना पद छोड़ दिया। जिसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने एक बार बतौर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शपथ ले ली।