मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को कांग्रेस के साथ कांटे की टक्कर के बाद हार का सामना करना पड़ा और शिवराज सिंह चौहान लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री बनने से चूक गए। राज्य में भाजपा बहुमत के आंकड़े से मात्र 7 सीट दूर रह गई। हालांकि पूर्ण बहुमत कांग्रेस को भी नहीं मिला लेकिन 114 सीटों के साथ पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है।
निर्दलीय विधायकों और एसपी-बीएसपी के समर्थन से पार्टी के पास 121 विधायक है लेकिन 28 नवंबर को हुए मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में अगर भाजपा को सिर्फ 4337 वोट और मिल गए होते तो शिवराज सिंह चौहान ही संभालते प्रदेश की कमान यानि चौथी बार राज्य के मुख्यमंत्री होते।
भारतीय चुनाव आयोग की ओर से उपलब्ध कराए गए मतगणना के आखिरी आंकड़ों के मुताबिक, मध्य प्रदेश विधानसभा की 10 सीटें ऐसी रहीं जहां जीत और हार का अंतर 1,000 वोट से भी कम रहा।
भाजपा को 7 सीटों पर 1000 से भी कम वोटों से हार का सामना करना पड़ा
भाजपा को बेहद ही करीबी मुकाबले वाले इन 10 सीटों में से सिर्फ 3 पर ही जीत हासिल हुई और बाकी 7 सीटें कांग्रेस के पाले में चली गईं। भाजपा को जिन सिटों पर 1000 से कम वोट के अंतर से कांग्रेस ने हराया उन सभी सीटों पर नोटा (NOTA) को दिए गए वोट भाजपा और कांग्रेस के बीच हार के अंतर से ज्यादा थे।
भाजपा को जिन सात सीटों पर कांग्रेस के हाथों सिर्फ 1000 से कम वोटों से हार का सामना करना पड़ा है, अगर हम उन सभी सीटों पर हार और जीत के आंकड़ों को जोड़ लें तो यह कुल 4,337 वोट होते हैं यानि भाजपा को अगर 4,337 वोट और मिल जाते तो उसके खाते में यह 7 सीटें आ जातीं और वह बहुमत के लिए जरूरी 116 के जादुई आंकड़े को छू लेती। ऐसे में कांग्रेस की सात सीटें घट जातीं और विधानसभा में उसका आंकड़ा 114 से घटकर 107 रह जाता।
ये हैं वो सात सीटें-
सीट |
इतने वोट से जीती कांग्रेस |
विजेता |
ग्वालियर दक्षिण |
121 |
कांग्रेस |
सुवासरा |
350 |
कांग्रेस |
जबलपुर उत्तर |
578 |
कांग्रेस |
राजनगर |
732 |
कांग्रेस |
दामोह |
798 |
कांग्रेस |
ब्यावरा |
826 |
कांग्रेस |
राजपुर (एसटी) |
932 |
कांग्रेस |
इन तीन सीटों पर मिली भाजपा जीत-
सीट |
इतने वोट से जीती बीजेपी |
विजेता |
बीना |
632 |
बीजेपी |
जावरा |
511 |
बीजेपी |
कोलारस |
720 |
बीजेपी |
दरअसल, मध्य प्रदेश में बीजेपी को 109 सीटें प्राप्त हुई हैं। अगर पार्टी को ये 4337 वोट मिलते तो उनकी 7 सीटें बढ़ जाती और पार्टी बहुमत के जादुई आकड़े 116 को छू लेती लेकिन ऐसा हुआ नहीं और बीजेपी को 109 सीटों से ही संतोष करना पड़ा।
ये है जनादेश
230 सीटों में से कांग्रेस 114 सीटों पर जीत दर्ज कर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। वहीं पिछले 15 सालों से सत्तारूढ़ बीजेपी को 109 सीटें मिली है। सूबे में सरकार बनाने के लिए 116 सीटों की जरूरत थी। हालांकि मध्य प्रदेश के सियासी समीकरण में किंगमेकर की भूमिका में मायावती की पार्टी बीएसपी और समाजवादी पार्टी के विधायक हैं। वहीं निर्दलीय की भूमिका भी यहां अहम है बीएसपी ने दो, समाजवादी पार्टी ने एक और निर्दलीय ने चार सीटों पर कामयाबी पाई है।
पिछले चुनाव से घटा वोट शेयर
पिछले चुनाव से तुलना करें तो बीजेपी ने यहां 165 सीटें जीतकर स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बनाई थी। जबकि कांग्रेस को महज 58 सीटें ही मिली थीं। 2013 के चुनाव में बीजेपी को 44.88 फीसदी वोट शेयर मिले थे जबकि कांग्रेस को 36.38 फीसदी। उस हिसाब से इस बार बीजेपी का वोट फीसदी कम हुआ है वहीं कांग्रेस को वोट शेयर में बढ़त मिली है।
भाजपा भी लगा रही थी गणित?
इस बीच बीजेपी ने सरकार बनाने का दावा किया था। मध्य प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष राकेश सिंह ने देर रात ट्वीट कर कहा था, 'प्रदेश में कांग्रेस को जनादेश नहीं है। कई निर्दलीय और अन्य बीजेपी के संपर्क में हैं। कल राज्यपाल महोदया से मिलेंगे।' लेकिन शिवराज के ऐलान के बाद कांग्रेस के लिए सरकार बनाने का रास्ता साफ हो गया है।