Advertisement

मायावती ने पार्टियों से 'एक राष्ट्र-एक चुनाव' बिल का समर्थन करने का किया आग्रह; आरक्षण के मुद्दे पर सपा, कांग्रेस पर साधा निशाना

बसपा प्रमुख मायावती ने रविवार को कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पर हमला करते हुए कहा कि उन्हें आरक्षण पर...
मायावती ने पार्टियों से 'एक राष्ट्र-एक चुनाव' बिल का समर्थन करने का किया आग्रह; आरक्षण के मुद्दे पर सपा, कांग्रेस पर साधा निशाना

बसपा प्रमुख मायावती ने रविवार को कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पर हमला करते हुए कहा कि उन्हें आरक्षण पर नहीं बोलना चाहिए क्योंकि जब कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सत्ता में थी, तब उन्होंने अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) को पदोन्नति में कोटा देने वाले कानून का विरोध किया था।

प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने 'एक राष्ट्र-एक चुनाव' पर केंद्र के बिल का भी समर्थन किया और जोर देकर कहा कि इससे खर्च कम होगा और जन कल्याण के काम निर्बाध रूप से जारी रहेंगे। उन्होंने अन्य पार्टियों से भी इस उपाय का समर्थन करने का आग्रह किया।

मायावती ने मांग की कि किसी भी छेड़छाड़ को रोकने के लिए एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाना चाहिए। नौवीं अनुसूची में सूचीबद्ध केंद्रीय और राज्य कानून न्यायिक समीक्षा से मुक्त हैं।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि लोकसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष, खासकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने दलित और ओबीसी मतदाताओं को लुभाने के लिए आरक्षण के मुद्दे पर बहुत सी "निराधार" बातें कही हैं, जिनमें "रत्ती भर भी सच्चाई नहीं है।" "और बेहतर होता कि ये दोनों दल (कांग्रेस, सपा) संसद में इस मुद्दे पर चुप रहते, क्योंकि कांग्रेस पार्टी की केंद्र में सरकार के समय और इसी पार्टी की मिलीभगत से सपा ने एससी और एसटी समुदायों के पदोन्नति में आरक्षण से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक का कड़ा विरोध किया था।

उन्होंने दुख जताते हुए कहा, "सपा ने इस विधेयक को संसद में ही फाड़कर फेंक दिया और... अभी भी संसद में लंबित है।" बसपा प्रमुख ने सत्तारूढ़ भाजपा पर भी निशाना साधा और कहा, "भाजपा की आरक्षण विरोधी मानसिकता भी साफ दिखाई दे रही है, जिसके कारण वे विधेयक पारित कराने के मूड में नहीं हैं।" मायावती ने कहा कि संसद में 'भारत के संविधान के 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा' पर गरमागरम चर्चा हुई। उन्होंने कहा, "लेकिन इसकी उपयोगिता तभी संभव है जब खुले मन से यह स्वीकार किया जाए कि क्या शासक वर्ग मानवतावादी एवं कल्याणकारी संविधान की पवित्र मंशा के अनुरूप देश के करोड़ों लोगों को रोजगार और न्याय, स्वाभिमान और आत्मसम्मान का जीवन देने में सक्षम है।"

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान विफल नहीं हुआ है, बल्कि देश पर शासन करने वाले लोगों और दलों ने अपनी "संकीर्ण सोच और जातिवादी राजनीति" से देश के संविधान को विफल किया है। मायावती ने यह भी कहा कि मौजूदा भाजपा सरकार द्वारा लिए जा रहे "संकल्पों" से देश की जनता को कोई लाभ नहीं होने वाला है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार किसी पार्टी या किसी व्यक्ति विशेष या संस्था को लाभ पहुंचाने के लिए संविधान में संशोधन करती है, तो "हमारी पार्टी इसका पुरजोर विरोध करेगी"।

मायावती ने कहा कि गरीबों और शोषितों की पार्टी होने के नाते बसपा भाजपा सरकार द्वारा 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के संबंध में लाए गए संबंधित विधेयकों का स्वागत करती है। उन्होंने कहा कि बेहतर होगा कि सभी दल दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इस मुद्दे पर देश और आम जनता के हित में काम करें। हाल के वर्षों में बसपा को लगातार चुनावी गिरावट का सामना करना पड़ा है और संसद में उसका केवल एक ही राज्यसभा सांसद है।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad