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मायावती ने 1985 में जिससे शिकस्त खाई, 2017 में उसी को देंगी समर्थन

बसपा प्रमुख मायावती ने राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की साझा उम्मीदवार मीरा कुमार को समर्थन देने का ऐलान किया है।
मायावती ने 1985 में जिससे शिकस्त खाई, 2017 में उसी को देंगी समर्थन

जैसा कि उम्मीद की जा रही थी बसपा प्रमुख मायावती ने यूपीए की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार मीरा कुमार को समर्थन देने का फैसला किया है। बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्रा ने पत्रकारों को बताया कि विपक्षी दलों की बैठक में जो नाम तय हुआ है, बसपा प्रमुख मायावती ने उसके लिए सहमति दी है। एनडीए की ओर से दलित उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को मैदान में उतारने के बाद मायावती ने बहुुुत सावधानी से अपने पत्ते खोले थे। उन्होंने सीधे तौर पर रामनाथ कोविंद की उम्मीदवारी का विरोध नहीं किया था, लेकिन उनकी भाजपा और संघ की पृष्ठभूूूूमि से असहमित जता दी थी। 

आज भले ही मायावती ने मीरा कुमार को समर्थन देने का फैसला किया है, लेकिन 80 के दशक में दोनों दलित नेता एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ चुकी हैं। सन 1985 के लोकसभा चुनाव में बिजनौर से मायावती, मीरा कुमार और रामविलास पासवान के बीच मुकाबला था, जिसमें मीरा कुमार ने कामयाबी हासिल की। मायावती को पहली चुनावी सफलत 1989 में बिजनौर से ही मिली थी। 

शायद मायावती को कहीं न कहीं मीरा कुमार की उम्मीदवारी का अंदाजा रहा होगा, तभी उन्होंने कहा था कि अगर विपक्ष की ओर से कोई कोविंद से ज्यादा काबिल दलित उम्मीदवार आएगाा तो समर्थन देने पर विचार किया जा सकता है। इसमें कोई दोराय नहीं है कि मीरा कुमार का राजनैतिक अनुभव रामनाथ कोविंद से कहीं ज्यादा है। कोविंद दो बार राज्य सभा सांसद रहे हैं जबकि मीरा कुमार पांच बार लोकसभा चुनाव जीतकर संसद में आई हैं। वकील होने के साथ-साथ वह भारतीय विदेश सेवा की अधिकारी रहीं और निर्विरोध देश की प्रथम महिला स्पीकर चुनी गईं थीं। 

 

 

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