मुलायम गुट के सूत्रों के मुताबिक सपा मुखिया और शिवपाल अपने साथ विधायकों, विधान परिषद सदस्यों तथा सांसदों के हस्ताक्षरित शपथपत्र ले गये हैं। मुलायम और शिवपाल के दिल्ली रवाना होने के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपने सरकारी आवास पर अपने समर्थक विधायकों तथा अन्य नेताओं से मुलाकात की और उनसे पार्टी के चुनाव चिन्ह साइकिल पर दावा ठोंकने के लिये जरूरी शपथपत्रों पर हस्ताक्षर कराये।
चुनाव आयोग ने सपा के दोनों गुटों द्वारा साइकिल पर दावे के सिलसिले में दाखिल किये गये दस्तावेजों पर अपनी प्रक्रिया शुरू कर दी है। आयोग ने दोनों गुटों से अपने-अपने समर्थक विधायकों, विधान परिषद सदस्यों तथा सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित शपथपत्रा मांगे हैं, ताकि यह पता लग सके कि किसके पास कितना संख्या बल है। अखिलेश के खेमे के सूत्रों ने बताया कि करीब 100 विधायकों ने पहले ही शपथपत्र पर दस्तखत कर दिये हैं। यह सिलसिला जारी है।
पिछले रविवार को हुए सपा के विवादित राष्ट्रीय अधिवेशन में सपा के 229 में से 200 से ज्यादा विधायक, बड़ी संख्या में विधान परिषद सदस्य तथा अन्य पार्टी नेता एवं पदाधिकारी शामिल थे। अखिलेश के हिमायती माने जाने वाले सपा राज्यसभा सदस्य नरेश अग्रवाल ने दावा किया कि ज्यादातर विधायक, विधान परिषद सदस्य तथा सांसद अखिलेश के साथ हैं। माना जा रहा है कि अखिलेश के प्रतिनिधि भी आज ही चुनाव आयोग के दफ्तर जाकर विधायकों, विधान परिषद सदस्यों तथा सांसदों के हस्ताक्षरित हलफनामे सौपेंगे। आपसी गतिरोध के बीच, वरिष्ठ नेता आजम खां की कोशिशों से सपा के दोनों गुटों में दो दौर की बातचीत हो चुकी है लेकिन वह बेनतीजा रही।
इस सबके बीच, मुख्यमंत्री अखिलेश ने कल पीछे ना हटने का साफ इशारा देते हुए एक कार्यक्रम में कहा हम चुनाव में जा रहे हैं। हम फिर लौटेंगे। कहां नट-बोल्ट लगाना है, कहां हथौड़ा इस्तेमाल करना है, उसे ठीक से इस्तेमाल करेंगे। सूत्रों के मुताबिक दोनों ही गुट अपनी-अपनी मांगों को लेकर किसी भी तरह का समझौता नहीं करना चाहते। विधानसभा चुनाव की घोषणा हो जाने के बावजूद कोई भी गुट नरमी नहीं दिखा रहा है। दरअसल, अपने पिता की राह से जुदा रास्ते पर चल पड़े अखिलेश सपा संगठन पर अपना वर्चस्व लगातार बढ़ाते दिख रहे हैं। उनके निर्देश पर आजमगढ़, देवरिया, कुशीनगर और मिर्जापुर के बर्खास्त सपा जिलाध्यक्षों को कल बहाल कर दिया गया।