कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने पिछले साल हुए दादरी कांड पर मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाया और आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री का रवैया चयनात्मक है। तिवारी ने सवाल किया, वह आरएसएस से विहिप को भंग करने को क्यों नहीं कहते, वह बजरंग दल के पदाधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं करते? कांग्रेस नेता ने कहा, यह उनके वैचारिक हमसफर हैं जो देश भर में गौरक्षा के नाम पर गुंडागर्दी करते हैं और अनिश्चितता एवं आतंक का माहौल बनाते हैं। इसलिए प्रधानमंत्री आज जो कह रहे हैं वह पाखंड है और पूरी तरह दिखावा है।
जनता दल (यूनाइटेड) नेता पवन वर्मा ने कहा कि यदि प्रधानमंत्री ने यह संदेश पहले दिया होता तो फर्जी गौरक्षकों के खतरे को रोका जा सकता था। वर्मा ने कहा, यदि प्रधानमंत्री ने यह संदेश पहले दिया होता तो हमें गौरक्षक पूरे भारत में फैलते नजर नहीं आते। वह हर बात पर ट्वीट करते हैं, लेकिन इस मुद्दे पर चुप रहे। चुप्पी तोड़ने का स्वागत है, लेकिन सवाल है कि इतनी देर क्यों? वहीं भाकपा नेता डी राजा ने सत्ताधारी पार्टी की आलोचना करते हुए कहा कि कई ऐसे मुद्दे हैं जिन पर जनता प्रधानमंत्री की बात सुनना चाहती है और इनमें दलितों पर बढ़ता अत्याचार भी शामिल है। राजा ने सवाल किया, अपने ही राज्य गुजरात में हुए अत्याचार पर प्रधानमंत्री ने एक भी शब्द क्यों नहीं बोला?
हालांकि, भाजपा ने मोदी के बयान का बचाव करते हुए कहा कि विपक्ष का हमला राजनीतिक दिवालियेपन का बेहतरीन उदाहरण है। भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा, गौरक्षा के नाम पर असामाजिक तत्व जो कुछ कर रहे हैं, उस पर अपनी नाराजगी जताने के लिए प्रधानमंत्री की ओर से इससे ज्यादा कड़े शब्दों का इस्तेमाल नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि चूंकि विपक्ष के पास प्रधानमंत्री के खिलाफ बोलने के लिए कुछ नहीं है, इसलिए वह अपनी नाकामी छुपा रहा है और केंद्र पर अंगुलियां उठा रहा है।