एनडीए संसदीय दल का नेता चुने जाने के बाद नरेंद्र मोदी ने संबोधन दिया। संबोधन से पहले संसद में संविधान कि किताब के सामने सिर झुकाया। पीएम मोदी ने कहा कि वे इस नई यात्रा के लिए संकल्पबद्ध हैं। इस भाषण में उन्होंने एनडीए के प्रति आभार जताया और पहली बार चुनकर आए हुए सांसदों को कई नसीहतें भी दीं। उन्होंने कहा कि बड़बोलेपन की वजह से हमने पांच साल में बहुत मसाला दिया है। वीआईपी कल्चर देश के नागरिक को पसंद नहीं आता है। साथ ही उन्होंन कहा कि मंत्री बनने के नाम पर बहकावे में ना आएं। जो नाम चल रहे हैं वे अफवाह हैं।
मोदी ने कहा कि प्रचंड जनादेश जिम्मेदारियों को बढ़ा देता है। इसके लिए नई ऊर्जा और उमंग के साथ हमें आगे बढ़ना है। भारत के लोकतंत्र को हमें समझना होगा। भारत का लोकतंत्र, मतदाता, नागरिक, उसका जो नीर-क्षीर विवेक है, उसे किसी मापदंड से मापा नहीं जा सकता है। भारत का लोकतंत्र परिपक्व होता गया है। सत्ता का रुतबा भारत के मतदाता को कभी प्रभावित नहीं करता है। वह मजबूरन कभी सहन कर ले लेकिन पचा नहीं पाता। सम्मान कभी नहीं देता लेकिन वह सेवाभाव को स्वीकार करता है।
'चुनाव ने दीवारों को तोड़ने का काम किया है'
मोदी ने कहा कि एनडीए ने मुझे अपना नेता चुना है। मैं भी बिल्कुल आप में से एक हूं। आपके बराबर हूं। आचार्य विनोबा भावे ने कहा था कि चुनाव बांट देता है। खाई पैदा कर देता है। लेकिन 2019 के चुनाव ने दीवारों को तोड़ने का काम किया है, दिलों को जोड़ने का काम किया है। यह चुनाव सामाजिक एकता का पर्याय बन गया। समता-ममता, समभाव-ममभाव के वातावरण ने इस चुनाव को नई ऊंचाई दी है। देश की जनता ने नये युग का सूत्रपात किया है, हम उसके साक्षी हैं। हम उसके रचयिता नहीं हैं। जन आकांक्षाओं को मजबूत बनाने के लिए हम कोशिश करते रहेंगे।
'देश ईमान को सिर पर बैठाता है'
उन्होंने कहा कि इस बार देश भागीदार बना है। 2014 से 2019 तक उसने हमें चलाया भी है। विश्वास की डोर जब मजबूत होती है तो प्रो-इनकंबेसी वेव पैदा होती है। विश्वास की डोर जन-जन के बीच है। ये चुनाव पॉजिटिव वोट का चुनाव है कि फिर से सरकार को जिम्मेदारी देनी है। ये देश परिश्रम की पूजा करता है। ईमान को सिर पर बैठाता है।
'सबसे ज्यादा महिला सांसदों का रिकॉर्ड बना'
उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधि के लिए किसी तरह का भेद-भाव नहीं होना चाहिए। हमारे लिए कोई पराया नहीं हो सकता है। दिलों को जीतने की कोशिश कीजिए। 2014 के मुकाबले भाजपा को 2019 में 25 फीसदी ज्यादा वोट मिले हैं। जितने वोट अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को मिले थे, उतने की हमारी बढ़ोतरी हुई है। 2014 में महिला सांसदों का रिकॉर्ड हमने तोड़ दिया और भारत के इतिहास में इतनी बड़ी संख्या में महिला सांसद हों, यह पहली बार हो रहा है।
'एनडीए एक विश्वस्त आंदोलन'
उन्होंने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी जी का गठबंधन की राजनीति में अहम योगदान है। एनडीए एक विश्वस्त आंदोलन बन गया है। साथी दल कुछ न कुछ छोड़ते हैं, जिससे शक्ति पैदा होती है। इसे हमें और सशक्त करना है। भारत जैसे देश में राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाओं के साथ क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं की उपेक्षा संकट पैदा कर सकता है। इन मूलभूत सिद्धांतों से हमने एनडीए को चलाया है।
'बड़बोलापन बड़ी समस्या है'
मोदी ने खासकर पहली बार चुनकर आए सांसदों को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले पांच सालों में कोई बड़ी शिकायतें नहीं आईं लेकिन हमने मसाला दिया। बड़बोलापन बड़ी समस्या है। टीवी वालों को काम मिल जाता है। कुछ लोग जब तक सुबह उठकर राष्ट्र के नाम संदेश नहीं देते, उन्हें चैन नहीं पड़ता। आडवाणी जी कहते थे कि दो चीजों छपास और दिखास से बचना चाहिए। यानी हम छप जाएं या हम टीवी पर दिख जाएं। इससे हम अपना और दूसरों के लिए बहुत कुछ बचा सकते हैं। इससे हमें बचना है। क्योंकि अब देश माफ नहीं करेगा। मैं आज बता दे रहा हूं ताकि भविष्य में मैं कह सकूं कि मैंने चेताया था।
'कुछ भी ऑफ द रिकॉर्ड नहीं होता'
मोदी ने कहा कि दुनिया में कुछ भी ऑफ द रिकॉर्ड नहीं होता। आजकल किसकी जेब में क्या इंस्ट्रूमेंट है, पता नहीं चलता। बहुत बड़ा वर्ग है, जिसे 70 साल किसी और ने पाला है। हमें पता है उनका ये कारोबार है, हमें अपने आप को बचाना है। वाणी से व्यवहार से। हमारे भीतर का कार्यकर्ता जिंदा रहना चाहिए। थोड़ा सा भी अहंकार बर्बाद कर देता है। हम कहते हैं पार्टी ने जिता दिया। फिर लोग कहते हैं मेरा इतना संपर्क है इसलिए हम जीत गए। न हम अपनी हैसियत से जीतते हैं, न जाति विशेष का समूह जिताता है, न मोदी जिताता है, हमें जनता जिताती है। हम जो कुछ भी हैं, जनता की वजह से हैं। उसके आदेश का हमें पालन करना है।
'मंत्रियों के नाम जो चल रहे हैं वे अफवाह हैं'
उन्होंने कहा कि इस देश में बहुत से नरेंद्र मोदी पैदा हो गए हैं, जिन्होंने अपना मंत्रिमंडल बना लिया है। मीडिया वाले जो नाम फैला रहे हैं, वो सरासर अफवाह हैं। लोग बता देते हैं कि आपका नाम स्क्रीन पर चल रहा है, तो वो बहक जाते हैं। अगर आपको मंत्री पद के लिए फोन आए तो भी क्रॉस चेक कीजिए। वीआईपी कल्चर से बचना चाहिए। आपको क्यों चेकिंग के लिए कतार में नहीं खड़े होना चाहिए। लाल बत्ती हट जाने से लोग खुश हुए। सामान्य आदमी इससे जुड़ता है। हमारे मनोहर पर्रिकर जी का यही स्वभाव था।
'अल्पसंख्यकों के साथ छल किया गया, हमें विश्वास जीतना है'
मोदी ने कहा कि देश के अल्पसंख्यकों को भ्रमित और भयभीत रखा गया। अच्छा होता कि उसकी शिक्षा की चिंता होती। अच्छा होता कि समाज के अन्य वर्गों में उनका भी आर्थिक-सामाजिक विकास होता। लोकतंत्र में वोटबैंक के लिए उन्हें दूर रखा और दबाकर रखा और चुनावों में इस्तेमाल किया। हमें इस छल में छेद करना है। हमें विश्वास जीतना है। 1857 का स्वतंत्रता संग्राम हर वर्ग, हर धर्म के लोगों ने लड़ा था। देश की एकता और अखंडता के लिए उस स्पिरिट को फिर पैदा करें। उस समय गुलामी से मुक्ति के लिए लड़ें थे, अब गरीबी से लड़ना है। सबको साथ लेकर चलना है। इस छल से लड़ना है। जो वोट देते हैं वो भी हमारे हैं, जो विरोध करते हैं वो भी हमारे हैं। 21वीं सदी में कोई छूट नहीं जाना चाहिए। पंथ के आधार पर, जाति के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास ये हमारा मंत्र है।