मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता प्रकाश करात को बुधवार को दिल्ली के अंबेडकर विश्वविद्यालय में प्रवेश करने से रोक दिया गया। उन्हें सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (सीएए) पर वाम-समर्थित छात्र संगठन द्वारा चर्चा करने के लिए आमंत्रित किया गया था।
प्रकाश करात ने एक बयान जारी करते हुए कहा, "दिल्ली चुनाव के मद्देनजर आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन होगा। इस बात का हवाला देते हुए मुझे अंबेडकर विश्वविद्यालय में आयोजित एक बैठक में हिस्सा नहीं लेने दिया गया।” इसके बाद उन्होंने यूनिवर्सिटी गेट के बाहर पुलिस जवानों की मौजूदगी में छात्रों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि यह कानून प्रकृति में भेदभावपूर्ण है। साथ ही केंद्र से ‘असंवैधानिक’ सीएए को वापस लेने का आग्रह किया।
एसएफआई का आयोजन
वाम समर्थित संगठन स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया था। सगंठन ने सीएए, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) से उत्पन्न मुद्दों पर एक बैठक करने की अनुमति विश्वविद्यालय से मांगी थी, लेकिन नहीं दी गई। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के अधिकारी स्पष्ट रूप से कानून को नहीं जानते हैं, इसलिए उन्होंने ऐसा किया।
‘यह हास्यास्पद है’
माकपा नेता ने संवाददाताओं से कहा, “उन्होंने सीएए पर एक बैठक करने के लिए अनुमति देने से इनकार कर दिया है क्योंकि दिल्ली चुनाव के कारण आदर्श आचार संहिता लागू है। मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट (एमसीसी) विधानसभा चुनाव और चुनाव अभियान से संबंधित है। इसका संबंध किसी विश्वविद्यालय के अंदर एक सेमिनार के साथ कुछ नहीं है। सही मायने में यह हास्यास्पद है।”
उन्होंने आरोप लगाया कि विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने परिसर के भीतर बहस और चर्चा को दबा दिया है। आगे कहा, "अनुमति कल मांगी गई थी और इस बहाने (एमसीसी) का कारण बताकर इनकार कर दिया गया। फिर भी छात्रों ने अधिकारियों की तानाशाही को स्वीकार नहीं किया और बंद गेट से बात सुनी।"
‘आचार संहिता के कारण नहीं दी अनुमती’
वहीं एक बयान में, विश्वविद्यालय ने कहा कि कुछ छात्रों ने परिसर में 22 जनवरी को सीएए-एनआरसी-एनपीआर पर एक वार्ता आयोजित करने की अनुमति के लिए अनुरोध किया था। जिसमें प्रकाश करात (पॉलिट ब्यूरो, सीपीआई-एम), आरफा खानम शेरवानी (वरिष्ठ पत्रकार, द वायर) और डॉ प्रियंका झा (फैकल्टी, एयूडी) को बुलाने की बात कही गई थी। उन्होंने कहा, "दिल्ली विधानसभा चुनावों के कारण आदर्श आचार संहिता लागू है। जिसके मुताबिक विश्वविद्यालय ने छात्रों को जिला चुनाव अधिकारी (केंद्रीय) से इस कार्यक्रम के आयोजन की अनुमति लेने की सलाह दी, जिसमें राजनीतिक लोगों को भी आमंत्रित किया गया था।"
‘आचार संहिता सिर्फ एक बहाना’
एसएफआई के एक अधिकारी ने कहा कि आदर्श आचार संहिता का हवाला देकर अनुमति न देना सिर्फ एक बहाना था। उन्होंने कहा कि वह (करात) खुद दिल्ली चुनाव नहीं लड़ रहे हैं और उनकी पार्टी भी चुनाव मैदान में नहीं है। छात्रों की संख्या को देखते हुए पार्टी नेता ने गेट के बाहर खड़े होकर छात्रों से बात की। हालांकि गेट पर ताला लगा हुआ था और पुलिस भी मौजूद थी।
उन्होंने आरोप लगाया कि अन्य वक्ताओं को अंदर जाने दिया गया, लेकिन जब प्रकाश करात दोपहर 2 बजे के आसपास आए, तो तीनों प्रवेश द्वार बंद कर दिए गए। इसके अलावा, प्रशासन ने मंगलवार शाम को बेतुका दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा था कि कोई भी राजनीतिक रूप से संबद्ध व्यक्ति को परिसर में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा।
‘आयोजन स्थल को पानी से किया सराबोर’
आयोजकों ने दावा किया कि प्रशासन ने आयोजित होने वाले स्थल (वीसी लॉन) को पानी से सराबोर कर दिया था ताकि किसी भी तरह की कोई गतिविधि न हो। हालांकि, इसके बावजूद भी कार्यक्रम को मुख्य द्वार पर आयोजित किया गया। इस बीच, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के बादल प्रकाश ने कहा कि उन्होंने गेट के बाहर हो रहे कार्यक्रम के बारे में प्रशासन को सूचित किया था क्योंकि यह उनकी अनुमति के बिना हो रहा था और ऐसे समय में जब आदर्श आचार संहिता है। इसके बाद प्रशासन ने मामले में हस्तक्षेप किया।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई अनहोनी घटना न हो, इसलिए बाहर पुलिस बल तैनात किए गए थे। वहीं, गेट के पास जमा हुए छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की