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प्रणब बोले, हमारा राष्ट्रवाद और देशभक्ति संवैधानिक ही है

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी गुरुवार को नागपुर के रेशम बाग स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस)...
प्रणब बोले, हमारा राष्ट्रवाद और देशभक्ति संवैधानिक ही है

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी गुरुवार को नागपुर के रेशम बाग स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यक्रम में कहा कि कि हमें सहिष्णुता से ताकत मिलती है और हम विविधता का सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि मेल-मिलाप की लंबी प्रक्रिया के बाद हमारी राष्ट्रीय पहचान उभरी है। कई संस्कृतियां और धर्म हमें सहिष्णु बनाते हैं।

उन्होंने कहा कि मैं आज यहां भारत के संदर्भ में राष्ट्र, राष्ट्रवाद और देशभक्ति के बारे में विचार बताने आया हूं। उन्होंने कहा कि मतभेद और पहचान, धर्म, क्षेत्र, घृणा और असहिष्णुता के सहारे राष्ट्रवाद को परिभाषित करने का कोई भी प्रयास केवल हमारी पहचान को कम करेगा।

उन्होंने कहा कि आज हिंसा, नफरत का माहौल चारो तरफ दिखता है। यह हमें हमारे राष्ट्रवाद और देशभक्ति से दूर ले जाएगा। आधुनिक भारत का राष्ट्रवाद और देशभक्ति एक मायने में संवैधानिक राष्ट्रवाद और संवैधानिक देशभक्ति है।

पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा संविधान सिर्फ शासन प्रणाली चलाने का ही शास्त्र नहीं है बल्कि उसमें हमारे स्वतंत्रता संग्राम से निकले राष्ट्र के विचारों बहुलतावाद, सहिष्णुता, भाईचारा का भी अमूल्य दस्तावेज है। यह राष्ट्रवाद किसी को अपना शत्रु नहीं मानता। सभी उसके लिए स्वीकार्य हैं। इसी भाईचारे और धर्मनिरपेक्षता की राह पर चलकर हम अपने राष्ट्र और मातृभूमि को खुशहाली के रास्ते पर ले जा सकते हैं।

मुखर्जी ने कहा कि मैं आप सभी से अपील करता हूं कि इस राष्ट्र के खातिर शांति, खुशहाली और भाईचारा बनाने का संकल्प लें और हर तरह की नफरत और हिंसा से तौबा कर लें। उन्होंने कहा कि गांधीजी कहते थे कि भारतीय राष्ट्रवाद किसी को पराया नहीं मानता और न ही आक्रामक हैं।

अपने भाषण में प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, देश के प्रहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल  नेहरू, स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और सुरेंद्रनाथ बनर्जी का नाम लिया। 

 नागपुर  के संघ मुख्यालय पहुंचने के बाद उन्हें सीधे  मंच पर ले जाया गया। मंच पर उनके साथ आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत भी मौजूद हैं। वह यहां तृतीय वर्ष का प्रशिक्षण ले रहे आरएसएस कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे हैं। यह शिविर 14 मई से आरंभ हुआ और उसमें 707 शिक्षार्थियों ने अपना प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा किया।

-आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि संघ हर साल देश के सज्जनों को तृतीय वर्ष के कार्यक्रम में बुलाता है। वे यहां आते हैं, संघ के स्वरूप को देखते हैं और अपने विचार व्यक्त करते हैं। हम उनकी बातों को स्वीकार करते हुए उस पर चिंतन करते हुए आगे बढ़ते हैं। भागवत ने कहा कि हमने सहज रूप से पूर्व राष्ट्रपति  डॉ. प्रणब मुखर्जी को सहज रूप से आमंत्रण दिया और हमारा स्नेह पहचान कर उन्होंने सहमति दी। उनको कैसे बुलाया गया और वो कैसे जा रहे हैं ये चर्चा निरर्थक है।  उन्होंने कहा कि प्रणब दा की अपनी धारा है।

-प्रणब मुखर्जी के पहुंचने के बाद सबसे पहले आरएसएस का ध्वज लहराया गया। इसके बाद वहां मौजूद स्वयंसेवकों ने ध्वज प्रणाम किया पर मुखर्जी इस दौरान सावधान की मुद्रा में खड़े रहे।  स्वयंसेवकों ने उनके सामने पद संचलन, दंड और घोष का प्रदर्शन किया।

- आरएसएस के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के जन्म स्थान पर रखे विजिटर बुक में प्रणब मुखर्जी ने लिखा, “आज मैं यहां भारत माता का महान सपूत को सम्मान और श्रद्धांजलि देने के लिए यहां आया।”


-प्रणब मुखर्जी आरएसएस के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के जन्म स्थान पर पहुंचे। यहां पहुंचने पर आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने उनका स्वागत किया। प्रणब मुखर्जी के यहां डॉ. हेडगेवार को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान विशेष रूप से आमंत्रित किए गए नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिजन भी मौजूद थे। 

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