मोदी ने कहा, ‘मैं दिल्ली की दुनिया में नया था। मेरे लिए नया माहौल था। विभिन्न विषयों पर राष्ट्रपति ने एक अभिभावक, एक मार्गदर्शक के रूप में मेरी अंगुली पकड़कर मुझे रास्ता दिखाया। बहुत कम लोगों को ऐसा गौरव मिला है।’
उन्होंने कहा कि मुखर्जी ने अपने सार्वजनिक जीवन के दौरान और राष्ट्रपति पद पर चार साल के कार्यकाल में इस ऐतिहासिक भवन को बहुत कुछ दिया है। मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन को आम जनता और सत्ता के सर्वोच्च केंद्र के बीच संपर्क क्षेत्र के रूप में विकसित किया। उन्होंने कहा, महत्वपूर्ण बात यह है कि मेरी राजनीतिक पृष्ठभूमि अलग है और राष्ट्रपति की राजनीतिक पृष्ठभूमि अलग, लेकिन उनके साथ हम हर क्षण महसूस कर सकते हैं कि कैसे लोकतंत्र में विभिन्न राजनीतिक पृष्ठभूमि के लोग कंधे से कंधा मिलाकर काम कर सकते हैं।
मोदी ने यह भी कहा कि उनकी सरकार द्वारा लाई गई लगभग सभी योजनाओं को प्रेंसीडेंट स्टेट में लघु रूप में लागू किया जा रहा है, जबकि कई राज्य इनकी घोषणा करने में भी हिचकिचाहट महसूस कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने प्रेसीडेंट स्टेट को 10,000 से अधिक आबादी वाला गांव बताया। उन्होंने कहा, किसी दूसरे राजनीतिक दल के व्यक्ति की सरकार के बावजूद भी सरकार की योजनाओं को राष्ट्रपति भवन में लागू किया जा रहा है, यह महानता सिर्फ प्रणब दा ही दिखा सकते हैं।
इस मौके पर खुद प्रणब मुखर्जी ने अपने भाषण में कहा कि बाबू राजेंद्र प्रसाद के 1950 में राष्ट्रपति बनने के बाद से भारतीय लोकतंत्र कदम दर कदम मजबूत हुआ है। उन्होंने कहा, भारत एक ऐसा देश है जहां एक व्यक्ति से दूसरे के हाथ में, एक पार्टी से दूसरी पार्टी के हाथों में सत्ता के हस्तांतरण पर एक घंटे के लिए भी कभी कोई समस्या खड़ी नहीं हुई है। मुखर्जी ने कहा कि साल 2014 के आम चुनाव के पहले काफी अटकलें थी लेकिन जब जनादेश पाकर मोदी उनसे मिलने आए तब उन्होंने बस यही कहा कि वह गणतंत्र के प्रधानमंत्री के रूप में उनकी नियुक्ति पत्र के साथ तैयार हैं और पूछा कि वह शपथ कब लेंगे।
उन्होंने कहा, जब मैं चुना गया और उससे पहले मेरे पूरे जीवन में, मैं कांग्रेस का सदस्य रहा हूं। प्रधानमंत्री ने ठीक ही मेरी पृष्ठभूमि का जिक्र किया कि यह उनकी पृष्ठभूमि से अलग है लेकिन भारतीय राष्ट्रपति की संवैधानिक जिम्मेदारी के चलते न सिर्फ मैं बल्कि सभी तेरह राष्ट्रपति ने विभिन्न फैसले लिए। राष्ट्रपति ने कहा कि अपने पूरे राजनीतिक जीवन में वह राष्ट्रपति भवन से कुछ ही दूरी पर रहे लेकिन इसके बारे में बहुत कम जानते थे क्योंकि वे सिर्फ इसमें डायनिंग हॉल, अशोका हॉल और स्टडी ऑफ प्रेसीडेंट गए थे।
उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा कि वर्षगांठ तो होते ही रहते हैं और मनाए जाने चाहिए लेकिन यह वर्षगांठ कुछ अलग है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति जी का इस पद पर चार साल हुआ है और चार साल सफलतापूर्वक होना खुशी मनाने का अवसर है। उन्होंने कहा कि शाम का कार्यक्रम अलग था क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी को एक नया संग्रहालय मिल गया।
संग्रहालय का प्रधानमंत्री द्वारा उदघाटन किए जाने के अलावा कई पोर्टफोलियो और पुस्तकों का इस मौके पर विमोचन किया गया। राष्ट्रपति ने राष्ट्रपति भवन की वेबसाइट पर पर्यटक केंद्रित एक माइक्रो साइट भी शुरू किया।