कोरोना संकट के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार एक्टिव हैं और सरकार के कदमों पर सवाल खड़े कर रहे हैं। इसी के साथ राहुल गांधी की ओर से अर्थव्यवस्था पर चर्चा के लिए एक सीरीज की शुरुआत की गई है, जिसमें वह एक्सपर्ट से चर्चा कर रहे हैं। आज इसी कड़ी में राहुल गांधी ने पूर्व अमेरिकी राजनयिक और शिक्षाविद निकोलस बर्न्स से बातचीत की। ये बातचीत राहुल गांधी की कोरोना संकट श्रृंखला की चौथी कड़ी का आधार है। बातचीत के दौरान दोनों ने दुनिया में इस वक्त के माहौल पर चर्चा की। इस दौरान अश्वेत नागरिक, हिन्दू-मुस्लिम, लोकतंत्र समेत कई मसलों पर बात हुई। राहुल ने इस दौरान दोनों देशों में कोरोना की लड़ाई, लॉकडाउन और फिर उसके असर पर भी चर्चा की।
बता दें कि बर्न्स नाटो के पूर्व राजदूत, राजनीतिक मामलों के अंडर सेक्रेटरी और राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और राष्ट्रपति जॉर्ज बुश के कार्यकाल के दौरान अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता रह चुके हैं।
लाइव प्रसारण में बातचीत के दौरान राहुल ने कहा हम खुले विचारों वाले हैं, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि वो अब गायब हो रहा है। यह काफी दुःखद है कि मैं उस स्तर की सहिष्णुता को नहीं देखता, जो मैं पहले देखता था। ये दोनों ही देशों में नहीं दिख रही। राहुल ने आगे कहा, 'मुझे लगता है कि हम एक जैसे इसलिए हैं, क्योंकि हम सहिष्णु हैं। हम बहुत सहिष्णु राष्ट्र हैं। हमारा डीएनए सहनशील माना जाता है, हम नए विचारों को स्वीकार करने वाले हैं।'
इस पर अमेरिकी राजदूत रहे निकोलस बर्न्स ने कहा कि कई मायनों में भारत और अमेरिका एक जैसे हैं। हम दोनों ब्रिटिश उपनिवेश के शिकार हुए, हम दोनों ने अलग-अलग शताब्दियों में उस साम्राज्य से खुद को मुक्त कर लिया।
अमेरिका में अश्वेत आंदोलन पर बर्न्स ने कहा, 'अमेरिका में इस तरह की दिक्कतें हैं, अफ्रीकी-अमेरिकियों के साथ लंबे वक्त से ऐसा होता रहा है। अमेरिका में मार्टन लूथर किंग ने बड़ा काम किया है, उनके आदर्श महात्मा गांधी थे। अमेरिका ने बराक ओबामा जैसे नेता को राष्ट्रपति चुना, लेकिन आज क्या देखने को मिल रहा है। किसी का भी हक है, प्रदर्शन करना, लेकिन अमेरिका में राष्ट्रपति ब्लैक लोगों को आतंकवादी समझते हैं।'
राहुल गांधी ने कहा कि भारत और अमेरिका दोनों ही सहिष्णु देश हैं, जो नए विचार को समझते हैं और किसी भी विचार की इज्जत करते हैं, लेकिन आज दोनों देशों में दिक्कत है।
इस पर निकोलस बर्न्स ने कहा कि अमेरिका के लगभग हर शहर में आज इस तरह का प्रदर्शन हो रहा है, जो लोकतंत्र के लिए मायने रखता है। अगर हमें चीन जैसे देश को देखते हैं, तो हम काफी बेहतर हैं। भारत में भी यही है, वहां भी लोकतंत्र है और लंबे संघर्ष के बाद आजादी मिली है। हमें उम्मीद है कि अमेरिका का लोकतंत्र फिर मजबूत होगा।
राहुल गांधी ने कहा, मुझे लगता है कि हर समय में लोकतंत्र ही सही है, हमें अपने लोकतंत्र को और मजबूत करना होगा। आज दोनों देशों में लोग बोलने से डरते हैं, लेकिन हमें पहले जैसा माहौल वापस लाना होगा। इस पर जवाब देते हुए निकोलस बर्न्स ने कहा कि दोनों देशों को इसको लेकर बात करनी होगी और काम भी करना होगा।
महामारी को लेकर बर्न्स ने कहा, 'हमें वैश्विक राजनीति का भविष्य चाहिए. भले ही हम प्रतिस्पर्धा करने जा रहे हैं। चीन और अमेरिका, भारत और अमेरिका। मगर हमें दुनिया को संरक्षित करने की जरूरत है। हम दुनियाभर के लोगों की ओर से एक साथ काम कर सकते हैं और लोगों को उम्मीद दे सकते हैं कि सरकार के रूप में हम उनकी मदद कर सकते हैं। कोविड के साथ यही चुनौती है।'
कोरोना संकट से निपटने के तरीके पर उन्होंने कहा, 'हमारी लड़ाई सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने के लिए है। भारत की तरह लोगों को मास्क पहनने के लिए मनाने की कोशिश करना है क्योंकि अमेरिका में लोग इसे छोड़ना शुरू कर रहे हैं। आम तौर पर युवा लोग।'
राहुल ने दी बातचीत की जानकारी
11 जून को राहुल गांधी ने ट्वीट किया था, "कल, शुक्रवार, 12 जून, सुबह 10 बजे से, मेरे सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एंबेसडर निकोलस बर्न्स के साथ मेरी इस चर्चा में शामिल हों कि कैसे कोविड संकट विश्व व्यवस्था को नया आकार दे रहा है।" कांग्रेस द्वारा एक टीजर वीडियो जारी किया गया था, जिसमें राहुल गांधी कहते हुए दिखाई दे रहे हैं, "अमेरिकी इतिहास को देखते हुए किसी को भी इससे क्षेत्रीय विचार की नहीं बल्कि वैश्विक विचार की उम्मीद होती है।"
कौन हैं निकोलस बर्न्स
निकोलस बर्न्स अमेरिका के पूर्व राजनयिक हैं। फिलहाल वह हॉवर्ड केनेडी स्कूल में प्रफेसर हैं। इसके साथ वह अनेक मुद्दों पर कॉलम भी लिखते हैं। वह कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंध पर लेक्चर देते हैं। 64 साल के बर्न्स ने करीब 27 साल अमेरिकी सरकार के लिए काम किया है। इसमें उन्होंने राजदूत, गृह मंत्रालय के प्रवक्ता, नाटो के प्रवक्ता आदि महत्वपूर्ण पद संभाले हैं।
इन लोगों के साथ भी चर्चा कर चुके हैं राहुल गांधी
गौरतलब है कि राहुल गांधी की ओर से लगातार कोरोना संकट के बीच एक्सपर्ट्स से बात की जा रही है। राहुल ने अपने इस सिलसिले की शुरुआत रघुराम राजन से की थी, जिसके बाद नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी से भी चर्चा की गई। इसके अलावा राहुल गांधी अबतक हार्वर्ड के प्रोफेसर से लेकर प्रवासी मजदूरों से भी चर्चा कर चुके हैं। इससे पहले कांग्रेस नेता बजाज ऑटो के मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव बजाज से बातचीत कर चुके हैं।
नहीं थम रहा है कोरोना का कहर
बता दें कि कोरोना वायरस दुनिया भर में अपने पैर पसार चुका है। वहीं, भारत की बात करें तो यहां पिछले 24 घंटे में 10,956 नए मामले सामने आए हैं और 396 लोगों की मौत हुई है। शुक्रवार सुबह स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी किए गए डेटा के मुताबिक पिछले 24 घंटे में 10,956 नए मामले सामने आए हैं और 396 लोगों की मौत हुई है। इसके साथ ही देशभर में कोरोना पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या 2,97,535 हो गई है, जिनमें से 1,41,842 सक्रिय मामले हैं, 1,47,195 लोग ठीक हो चुके हैं या उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है और अब तक 8,498 लोगों की मौत हो चुकी है।
दुनिया भर में भी कोरोना वायरस का प्रकोप कम होने का नाम नहीं ले रहा है। अब संक्रमण के मामले बढ़कर 7,595,791 हो गए हैं। जबकि 423,819 लोग इसकी वजह से अपनी जानें गवां चुके हैं। फिलहाल सक्रिय मामलों की संख्या 3,330,634 है। जबकि 3,841,338 लोग ठीक भी हो चुके हैं।