देशभर में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के विरोध के बीच राजस्थान विधानसभा ने शनिवार को सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर दिया। यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पेश किया था। गौरतलब है कि शुक्रवार से विधानसभा का सत्र शुरू हुआ है। राजस्थान तीसरा राज्य है जिसने सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पास किया है। इससे पहले केरल और पंजाब विधानसभा में प्रस्ताव पास हो चुके हैं।
अब पश्चिम बंगाल लाने की तैयारी में
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी सीएए, एनआरसी और एनपीआर का लगातार विरोध कर रही हैं। खबरों के मुताबिक अब ममता सरकार सीएए के खिलाफ प्रस्ताव लाने की तैयारी में है। राज्य के संसदीय कार्य मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा है कि 27 जनवरी को सुबह 11 बजे विधानसभा में प्रस्ताव लाया जाएगा।
केरल और पंजाब प्रस्ताव कर चुके हैं पारित
इससे पहले पंजाब और केरल की सरकार द्वारा राज्य विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पास किया जा चुका है। 17 जनवरी को पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने कहा था कि उनकी सरकार राज्य में ‘विभाजनकारी सीएए’ को कभी लागू करने की अनुमति नहीं देगी। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख करेगी। इससे पहले इसके खिलाफ विरोध प्रस्ताव पास करने वाला केरल पहला राज्य बना था।
सीएए का हो रहा है विरोध
नागरिकता संशोधन बिल को पिछले महीने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने 9 दिसंबर को लोकसभा से और 11 दिसंबर को राज्यसभा से पास कराया था। इसके मुताबिक भारत के तीन पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आए गैर मुस्लिम अल्पसंख्यक शर्णार्थियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। इसमें हिन्दू, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन और ईसाई धर्म के लोगों को शामिल किया गया है। केंद्र सरकार इस कानून को लेकर अधिसूचना जारी कर चुकी है।
सीएए का विरोध कर रहे लोगों का तर्क है कि इससे भारत की धर्मनिरपेक्षता खत्म हो जाएगी और यह संविधान के खिलाफ है। हालांकि, पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने 140 से अधिक दायर की गई याचिका पर सुनवाई के बाद केंद्र सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगते हुए कानून पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया था।