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राज्यसभा अध्यक्ष धनखड़ ने पीएम मोदी को 'मौनी बाबा' कहने पर विपक्ष के नेता खड़गे की खिंचाई की

अडानी समूह पर सामने आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर बजट सत्र में हगांमा जारी है। विपक्ष लगातार सरकार पर...
राज्यसभा अध्यक्ष धनखड़ ने पीएम मोदी को 'मौनी बाबा' कहने पर विपक्ष के नेता खड़गे की खिंचाई की

अडानी समूह पर सामने आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर बजट सत्र में हगांमा जारी है। विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है। मंगलवार को जहां राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री के रिश्तों को लेकर सवाल उठाए तो वहीं, आज कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री पर हमला बोला। 

कांग्रेस अध्यक्ष और सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा कि देश में नफरत फैलाने वालों पर वह चुप क्यों हैं?  खड़गे ने राज्यसभा में प्रधानमंत्री के लिए 'मौनी बाबा' शब्द का प्रयोग किया।

खड़गे के इस बयान पर सभापति जगदीप धनखड़ ने आपत्ति जताते हुए कहा, "आप बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं, सर। आपको यह शोभा नहीं देता। कृपया इन लच्छेदार अभिव्यक्तियों का उपयोग न करें।" खड़गे की टिप्पणी के बाद राज्यसभा में हंगामा शुरू हो गया।

सभापति जगदीप धनकड़ ने कहा कि उन आरोपों पर चर्चा नहीं जा सकती जिन्हें आप साबित नहीं कर सकते। मैं सदन को सूचनाओं के प्रसार का मंच नहीं बनने दे सकता।"

खड़गे ने कहा कि 2014 में पीएम मोदी ने कहा था कि ‘ना खाऊंगा ना खाने दूंगा’। अब मैं पूछना चाहता हूं कि कुछ उद्योगपतियों को 'खाने' क्यों दे रहे हैं। पीएम के सबसे करीबी दोस्तों में से एक की संपत्ति ढाई साल में 13 गुना बढ़ गई है। 2014 में 50,000 करोड़ रुपये थी और 2019 में 1 लाख करोड़ रुपये हो गई। लेकिन महज ढाई साल में 12 लाख करोड़ कैसे हो गई। मुझे नहीं पता कि ऐसा क्या जादू हो गया कि उनकी संपत्ति इतनी बढ़ गई।

भाजपा सांसद पीयूष गोयल ने मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान का विरोध करते हुए कहा कि उन्होंने जो आरोप लगाया है, उसकी पुष्टि नहीं की जा सकती। गोयल ने कहा, "वह ऐसे धन की बात कर रहे हैं जो शेयर बाजार की गणना है, उसकी कोई योग्यता नहीं है। इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कांग्रेस की ओर से यह कहना बड़ी चतुराई है कि वह आंकड़े देगी। उन्होंने कहा यह पूरी तरह से प्रधानमंत्री के खिलाफ आक्षेप से भरा हुआ है, हमरी आपत्ति इसी पर है। वे सूक्ष्म और खुले तौर पर पीएम के खिलाफ जोर दे रहे। 

खड़गे ने कहा कि गुजरात के एक किसान को 31 पैसे बकाया होने के कारण अनापत्ति प्रमाण नहीं दिया गया, लेकिन एक व्यक्ति के करोड़ों रुपये के बकाये के भुगतान को माफ कर दिया गया। इसको प्रमाणित करने की जरूरत है क्या? 

 

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