नासिक में शिवसेना (यूबीटी) द्वारा नशे के खिलाफ़ निकाले गए मार्च के बाद भाजपा ने आरोपी ललित पटेल की संलिप्तता को लेकर पार्टी से सवाल पूछे और आरोप लगाए। अब इनका जवाब देते हुए शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने कहा कि भाजपा को ड्रग्स माफिया से हफ्ता मिल रहा है।
बीजेपी के आरोपों पर कि आरोपी ललित शिव सेना के नासिक शहर प्रभारी थे, शिव सेना (उद्धव ठाकरे गुट) नेता संजय राउत ने कहा, ''बीजेपी को ड्रग्स माफिया से 'हफ्ता' मिल रहा है। हमने ड्रग्स के खिलाफ मोर्चा निकाला, पूरी जनता सड़क पर थी। आप (उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस जिनके पास गृह विभाग का प्रभार भी है) उस बारे में बात करें, अन्य मुद्दों के बारे में बात न करें, यह आपकी जिम्मेदारी है। नासिक के बारे में बात करें जो ड्रग्स के कारण बर्बाद हो गया है।"
#WATCH | Mumbai, Maharashtra: On BJP alleges accused Lalit Modi was Nashik city incharge of Shiv Sena, Sanjay Raut, Shiv Sena (Uddhav Thackeray faction) leader says, "BJP is getting 'Hafta' from Drugs Mafia. We led a morcha against drugs, the entire public was on the road... You… pic.twitter.com/4NkfiADif6
— ANI (@ANI) October 21, 2023
बता दें कि शिवसेना (यूबीटी) ने शुक्रवार को अपने राज्यसभा सांसद संजय राउत के नेतृत्व में महाराष्ट्र के नासिक में नशीली दवाओं के बढ़ते खतरे के खिलाफ विरोध मार्च निकाला। हाल ही में नासिक की एक इकाई से 300 करोड़ रुपये का मेफेड्रोन जब्त किया गया था।
मार्च में शामिल कई प्रतिभागियों ने कहा कि शहर एक सांस्कृतिक और तीर्थस्थल के रूप में प्रसिद्ध था, लेकिन धीरे-धीरे नशीली दवाओं के लिए बदनाम हो रहा है और राज्य सरकार इस समस्या को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठा रही है।
उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़णवीस की आलोचना करते हुए, राउत ने कहा कि भाजपा नेता को विरोध मार्च में भाग लेना चाहिए था क्योंकि यह राजनीतिक के बजाय सामाजिक कारण के लिए था। बता दें कि मार्च शालीमार चौक स्थित शिवसेना (यूबीटी) कार्यालय से शुरू हुआ और कलक्ट्रेट पर समाप्त हुआ, जहां एक ज्ञापन सौंपा गया।
इसके बाद महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस ने शुक्रवार को ड्रग मामले के आरोपी यरवदा जेल के कैदी ललित पाटिल को लेकर शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा, जो एक प्रमुख मेफेड्रोन भंडाफोड़ में पकड़े जाने के बाद पुणे के एक अस्पताल से भाग गया था।
एक संवाददाता सम्मेलन में फड़णवीस ने कहा कि पाटिल, ठाकरे के नेतृत्व में अविभाजित शिवसेना के नासिक प्रमुख थे और 2020 में जब महा विकास अघाड़ी सत्ता में थी, तब उनकी गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने उनसे कभी पूछताछ नहीं की।
पाटिल को ससून अस्पताल के बाहर एक मेफेड्रोन बस्ट में रखा गया था, जहां उसे भर्ती कराया गया था, और एक्स-रे के लिए ले जाते समय वह 2 अक्टूबर को वहां से भाग गया। बाद में उसे मंगलवार को नासिक में 300 करोड़ रुपये की मेफेड्रोन जब्ती से जुड़े मामले में बेंगलुरु के पास एक स्थान से पकड़ लिया गया और अदालत ने उसे 23 अक्टूबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया।
फडणवीस ने कहा, "ललित पाटिल को 10-11 दिसंबर, 2020 को गिरफ्तार किया गया था। जब उन्हें गिरफ्तार किया गया था तब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे। जब उन्हें पकड़ा गया था, तो पीसीआर (पुलिस हिरासत) की मांग की गई थी। पीसीआर 14 दिनों की थी लेकिन पाटिल को तुरंत ससून अस्पताल में भर्ती कराया गया था।"
उन्होंने सवाल किया, "पुलिस की ओर से (इस तथ्य पर) अदालत में आवेदन दायर करने का कोई प्रयास नहीं किया गया कि उनसे पूछताछ नहीं की गई या उनकी बीमारी सच नहीं है। उनसे पूछताछ क्यों नहीं की गई? कौन जिम्मेदार है, तत्कालीन मुख्यमंत्री (ठाकरे) या गृह मंत्री (अनी देशमुख)?"
फड़णवीस ने जानना चाहा कि पाटिल किसके दबाव में थे और उनके किसके साथ संबंध हैं। संयोगवश, गिरफ्तारी के कुछ ही दिन बाद पाटिल के अस्पताल से भागने को लेकर शिवसेना (यूबीटी) एकनाथ शिंदे सरकार में गृह विभाग संभालने वाले फड़णवीस पर निशाना साध रही है।