महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और शिवसेना के बीच तल्खी अभी तक कम नहीं हुई है। हालांकि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नरम रुख अपनाते हुए भले ही आज दोस्ती का हाथ बढ़ाया लेकिन शिवसेना के तेवर बरकरार है। शिवसेना नेता संजय राउत ने आज कहा कि राज्य की कुंडली उनकी पार्टी के पास है। इससे पहले फडणवीस ने कहा था कि किसी को शक नहीं होना चाहिए, राज्य में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन की ही सरकार बनेगी। उन्होंने उद्धव ठाकरे को धन्यवाद भी कहा था।
हालांकि फडणवीस के इस बयान के बाद भी राउत ने कहा, 'महाराष्ट्र की कुंडली तो हम बनाएंगे। कुंडली में कौन सा ग्रह कहां रखना है और कौन से तारे जमीं पर उतारने हैं, किस तारे को चमक देना है, इतनी ताकत अभी शिवसेना के पास है।'
'जिसके पास 145 का आंकड़ा हो, वह सीएम बन सकता है'
राउत ने कहा कि जिसके पास बहुमत है वह सीएम हो सकता है। उन्होंने कहा, 'कोई भी जिसके पास 145 का आंकड़ा है वह सीएम हो सकता है। कोई भी नेता या विधायक महाराष्ट्र का सीएम बन सकता है। राज्यपाल उन्हें ही बुलाएंगे जिनके पास 145 का आंकड़ा होगा या फिर सबसे बड़ी पार्टी होगी। हालांकि उन्हें भी सदन में बहुमत सिद्ध करना होगा।'
भाजपा विधायक दल का नेता चुने गए फडणवीस
फडणवीस को भाजपा विधायक दल का नेता चुन लिया गया। नेता चुने जाने के बाद उन्होंने शिवसेना के साथ रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलाने की कोशिश करते हुए कहा कि किसी को संदेह नहीं होना चाहिए, राज्य में गठबंधन की ही सरकार बनेगी। उन्होंने विधानसभा चुनाव में मिली जीत के लिए शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे का धन्यवाद भी किया।
फडणवीस के बयान से भी बढ़ी तल्खी
देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को कहा था कि वह अगले पांच वर्षों के लिए मुख्यमंत्री बने रहेंगे। उनके इस बयान के बाद शिवसेना ने बीजेपी के साथ होने वाली बैठक रद्द कर दी थी। पार्टी का कहना है कि वह अब केवल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से ही बात करेगी जब वह उद्धव ठाकरे के आवास 'मातोश्री' आएंगे। बीजेपी से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि शाह एक या दो नवंबर को मुंबई आ सकते हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि वह उद्धव ठाकरे से मिलने उनके घर जाएंगे कि नहीं। बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पार्टी के उपाध्यक्ष अविनाश राय खन्ना को महाराष्ट्र विधायक दल की बैठक के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक नामित किया था।
सीटों की स्थिति
बीजेपी ने 150 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें से उसे 105 पर सफलता मिली। जबकि शिवसेना ने 124 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे पर जीत सिर्फ 56 सीटों पर ही मिली। 2014 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 122 सीटें मिली थी जबकि शिवसेना ने 63 सीटों पर परचम लहराया था। पिछली बार बीजेपी और शिवसेना ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था इन्हीं सब के चलते शिवसेना नतीजों के दिन से ही 50-50 के फॉर्मूले को लागू करने पर अड़ी थी। पार्टी की मांग थी कि ढाई-ढाई साल के लिए शिवसेना और बीजेपी का मुख्यमंत्री नियुक्त किया जाए।