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ट्वीट से लेकर टीवी इंटरव्यू तक, साफ दिखे शरद यादव के बागी तेवर

शरद यादव महागठबंधन तोड़ने के विरोध में 10 अगस्त से तीन दिवसीय जन-चेतना यात्रा भी निकालेंगे।
ट्वीट से लेकर टीवी इंटरव्यू तक, साफ दिखे शरद यादव के बागी तेवर

नीतीश कुमार के महागठबंधन तोड़ने और भाजपा के साथ बिहार में सरकार बनाने के बाद से शरद यादव लगातार नाराज चल रहे हैं। उनकी बातों से स्पष्ट है कि वह पार्टी के इस फैसले से खुश नहीं है और बागी तेवर अपनाए हुए हैं। शरद यादव नीतीश कुमार का नाम लिए बगैर लगातार उन पर निशाना साध रहे हैं।

मंगलवार को राज्य सभा में कांटे की टक्कर के बाद कांग्रेस के अहमद पटेल की जीत पर शरद यादव ने ट्वीट कर उन्हें बधाई भी दी। इस ट्वीट में एक फोटो है, जिसमें शरद यादव और अहमद पटेल साथ बैठे नजर आ रहे हैं। उन्होंने लिखा, 'तमाम बाधाओं के बावजूद राज्य सभा चुनाव जीतने पर आपको हार्दिक बधाई। आपको सफलता की शुभकामनाएं।'

कथित तौर पर गुजरात में जेडीयू के विधायक छोटूभाई वासवा ने अहमद पटेल के पक्ष में वोट दिया। वासवा ने कहा भी था कि उन्होंने अपने दोस्त अहमद पटेल का समर्थन किया। इसके बाद शरद यादव के इस ट्वीट के बड़े मायने हैं। जेडीयू-बीजेपी गठबंधन के बावजूद जेडीयू के एक विधायक का बागी हो जाना और शरद यादव द्वारा अहमद पटेल को बधाई देना, इससे जेडीयू के अंदर नीतीश कुमार के विरोध का सुर साफ सुनाई दे जाता है।  

वहीं शरद यादव का कहना है कि इस महागठबंधन तोड़ने के विरोध में वे गुरूवार से तीन दिवसीय जन-चेतना यात्रा भी निकालेंगे।

एनडीटीवी से बातचीत में शरद यादव ने कहा, ''पटना, छपरा, हाजीपुर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, मधुबनी, मधेपुरा, सोपोर, सहरसा में जनसंवाद कार्यक्रम होगा।10,11,12 तारीख को जनता से संवाद के लिए जाएंगे।'' उन्होंने कहा, ''गठबंधन के लिए मैंने भी बहुत मेहनत की थी और सारे सूबों का दौरा किया था। गठबंधन जनता के साथ एक बड़ा करार था वो टूटा है। इससे एक तरह से जनता का विश्वास टूटा है। इसलिए जनता के बीच जाकर उनसे बात करूंगा और रास्ता खोजूंगा।''

शरद यादव ने बताया, ''ये यात्रा जनता दल की यात्रा है। एक जनता दल जनता का और कार्यकर्ताओं का है। ये उसकी यात्रा है। ये एक रोड शो होगा। किसी जगह सभा नहीं है लेकिन अगर जनता ने माइक वगैरह लगा दिया तो वहां पांच मिनट बोलूंगा।'' उन्होंने एक साझा विरासत बचाओ सम्मेलन भी करने की बात कही लेकिन इसकी रूप-रेखा वो इस यात्रा के बाद तय करेंगे।

इससे पहले भी शरद यादव ने कहा था कि जनता सबसे बड़ी मास्टर है। लगता नहीं कि फिलहाल शरद यादव मानने वाले हैं। उनके लालू यादव के साथ जाने की भी संभावनाएं जताई जा रही हैं।

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