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सोनिया ने बनाया 11 सदस्यों का दल, विभिन्न विषयों पर पार्टी का नजरिया तय करेगा

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने तमाम विषयों पर सलाह देने के लिए 11 सदस्यों का एक समूह बनाया है। पूर्व...
सोनिया ने बनाया 11 सदस्यों का दल, विभिन्न विषयों पर पार्टी का नजरिया तय करेगा

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने तमाम विषयों पर सलाह देने के लिए 11 सदस्यों का एक समूह बनाया है। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की अध्यक्षता वाले इस समूह में पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी हैं। पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला इसके संयोजक बनाए गए हैं। पार्टी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि यह समूह आमतौर पर रोजाना बैठक करेगा और विभिन्न विषयों पर पार्टी का नजरिया तैयार करेगा। यह बैठक वर्चुअल होगी। समूह के अन्य सदस्यों में केसी वेणुगोपाल, पी चिदंबरम, मनीष तिवारी, जयराम रमेश, प्रवीण चक्रवर्ती, गौरव बल्लभ, सुप्रिया श्रीनाते, रोहन गुप्ता भी शामिल हैं। रोहन गुप्ता अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सोशल मीडिया प्रमुख हैं।

राहत पैकेज बहुत मामूली, यह जीडीपी का कम से कम 9 फ़ीसदी हो: मोइली

इस बीच, पार्टी के वरिष्ठ नेता एम वीरप्पा मोइली ने कहा कि सरकार ने अभी तक जो आर्थिक राहत की घोषणा की है वह कोविड-19 के चलते अर्थव्यवस्था को हो रहे नुकसान को देखते हुए बहुत ही मामूली है। उन्होंने कहा कि सरकार को जीडीपी के कम से कम 9 फ़ीसदी के बराबर राहत पैकेज लाना चाहिए। एक बयान में मोइली ने कहा कि शुक्रवार को रिजर्व बैंक के गवर्नर ने जो दूसरे पैकेज की घोषणा की उसका निश्चय ही स्वागत है। पहले पैकेज में सरकार और रिजर्व बैंक की तरफ से जो घोषणा की गई थी वह जीडीपी के 1 फ़ीसदी से भी कम थी। दूसरा पैकेज भी जीडीपी के 0.7 फ़ीसदी के बराबर है।

लॉक डाउन से अर्थव्यवस्था को 15 लाख करोड रुपए का नुकसान

मोइली ने कहा कि भारत में परिस्थितियां अन्य देशों से ज्यादा कठिन हैं। सरकार को मौजूदा हालात की गंभीरता को समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान और लोगों की परेशानियों को कमतर आंका है। अभी तक 3.5 से चार करोड़ लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं। लॉक डाउन के चलते अर्थव्यवस्था को प्रत्यक्ष रूप से 15 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। नोमूरा के अनुसार यह नुकसान जीडीपी के 7.7 फ़ीसदी के बराबर है। जीएसटी का संग्रह 40 फ़ीसदी घट गया है और केंद्र सरकार ने राज्यों को उनके हाल पर छोड़ दिया है।

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