दिल्ली उच्च न्यायालय फरवरी 2020 में यहां हुए सांप्रदायिक दंगों के पीछे कथित बड़ी साजिश से संबंधित यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम) मामले में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र उमर खालिद और छात्र कार्यकर्ता शरजील इमाम की जमानत याचिकाओं पर 25 नवंबर को सुनवाई करेगा।
खालिद और इमाम के अलावा मामले के अन्य सह-आरोपी ‘यूनाइटेड अगेंस्ट हेट’ के संस्थापक खालिद सैफी की जमानत याचिका भी न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति शालिंदर कौर की पीठ के समक्ष सोमवार को नये सिरे से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध की गई थी लेकिन यह पीठ सुनवाई के लिए आज नहीं बैठी।
इससे पहले ये मामले न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध थे, लेकिन हाल में उनका तबादला मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में हो गया है।
खालिद, इमाम और कई अन्य लोगों पर, फरवरी 2020 के दंगों के कथित तौर पर ‘‘मास्टरमाइंड’’ होने के लिए यूएपीए और भारतीय दंड संहिता की सुसंगत धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। इन दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक घायल हुए थे।
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के विरोध के दौरान यह हिंसा भड़की थी।
दिल्ली पुलिस ने खालिद को सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया था। उसने 28 मई को निचली अदालत द्वारा जमानत याचिका खारिज किए जाने के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। उच्च न्यायालय ने जुलाई में इस मामले में नोटिस जारी किया। इमाम, सैफी और अन्य आरोपियों की याचिकाएं 2022 में दायर की गईं और तब से समय-समय पर इन्हें विभिन्न पीठों के समक्ष सूचीबद्ध किया गया है।