लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस विधायकों और नेताओं का पाला बदलने का सिलसिला जारी है। राज्य में विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और ऐसे में विधायकों का पाला बदलना तृणमूल अध्यक्ष ममता बनर्जी की चिंताएं बढ़ा रहा है। तृणमूल कांग्रेस के बोंगांव से विधायक बिस्वजीत दास समेत पार्टी के 12 पार्षद भाजपा में शामिल हो गए। इसके अलावा कांग्रेस प्रवक्ता प्रसनजीत घोष ने भी भाजपा का दामन थामा। इन सभी ने कैलाश विजयवर्गीय और मुकुल रॉय की मौजूदगी में शपथ ली।
जारी है सिलसिला
इससे एक दिन पहले ही नौपाड़ा से टीएमसी विधायक सुनील सिंह समेत पार्टी के 12 पार्षद भाजपा में शामिल हुए थे। हाल ही में दार्जिलिंग नगर निगम के 30 में से 17 पार्षद भी शनिवार को भाजपा में शामिल हुए हैं। इससे लोकसभा चुनाव के बाद से पश्चिम बंगाल की तीन बार रही नगर निगम भी अब भाजपा द्वारा शासित होगी।
ममता की तानाशाही से परेशान हैं विधायक: विजयवर्गीय
कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था कि जिस तरीके से पश्चिम बंगाल में सात चरणों में चुनाव हुए उसी तरीके से यहां सात चरणों में लोगों को पार्टी में शामिल करवाएंगे। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा था कि 40 विधायक हमारे संपर्क में हैं और कभी भी पार्टी में शामिल हो सकते हैं। विजयवर्गीय के मुताबिक यह सभी विधायक ममता की तानाशाही से तंग आकर भाजपा में शामिल हो रहे हैं।
50 से ज्यादा पार्षद हो चुके हैं शामिल
मालूम हो कि पश्चिम बंगाल में कई विधायकों समेत 50 से ज्यादा पार्षद भाजपा में शामिल हो चुके हैं जिसमें भाजपा नेता मुकुल रॉय के बेटे शुभ्रांशू रॉय भी शामिल हैं। शुभ्रांशू बिजपुर से विधायक हैं। उनके अलावा बिष्णुपुर से तृणमूल के विधायक तुषारकांति भट्टाचार्य और हेमताबाद से माकपा विधायक देबेंद्र नाथ रॉय भाजपा में शामिल हो गए थे।
2016 में पश्चिम बंगाल में 294 सदस्यीय विधानसभा के लिए हुए चुनाव में तृणमूल कांग्रेस को 211 सीटों पर जीत मिली थी जबकि भाजपा को सिर्फ तीन सीट हासिल हुई थी। इसके बाद लोकसभा चुनाव में 18 सीटें जीतने के बाद भाजपा लगातार मजबूत होते हुए राज्य में मुख्य प्रतिद्वंद्वी बन गई है।